सर्दियों में सर्दी, जुकाम, खांसी, गले में खराश और कफ जैसी परेशानियां आम होती हैं लेकिन खांसी के साथ निकलने वाला ये चिपचिपा पदार्थ आखिर होता क्या है.
हम नाक और मुंह से सांस लेते हैं और हवा के साथ हमारे शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया और प्रदूषण के तत्व इकट्ठा हो जाते हैं.
दूसरे लफ्जों में शरीर में कफ बनना एक तरह के कचरे का इकठ्ठा होना है जो धीरे-धीरे कफ का रूप ले लेता है.
बलगम और कफ पानी, एंटीबॉडी, एंजाइम, प्रोटीन और नमक से बने होते हैं. हालांकि इससे पहले की प्रक्रिया गले में खराश या जलन होती है.
जब कोई चीज़ आपके गले या वायुमार्ग में जलन पैदा करती है तो खांसी आपके शरीर का प्रतिक्रिया करने का तरीका है और खांसी नाक और फेफड़ों से मृत कोशिकाएं, धूल और अन्य मलबा लेकर आता है.
जब हम सांस लेते हैं तो शरीर में प्रवेश करने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और छोटे बैक्टीरिया तो सांस के जरिए बाहर निकल जाते हैं लेकिन धूल और प्रदूषण से बनने वाला कचरा फेफड़ों में ही जम जाता है.
फेफड़ों में जमा हुआ यही कचरा सर्दी लगने का कारण बनता है. शरीर में अगर पानी की कमी हो तो यह कचरा फेफड़ों में ही पड़े-पड़े सड़ जाता है और कफ का रूप ले लेता है.
हालांकि इसकी वजह आपके शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता और मौसम पर भी निर्भर करती है.