तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश पर चक्रवात मिचौंग का खतरा मंडरा रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, आज तूफान आंध्र प्रदेश के तट को पार करेगा.
चक्रवात तब आते हैं जब समुद्र के ऊपर गर्म और नम हवा उठती है. समुद्र की सतह के पास हवा कम हो जाती है क्योंकि यह हवा ऊपर उठती है और इससे दूर चली जाती है.
गर्म इलाके के समुद्र में तापमान के बढ़ने से हवा गर्म होकर बेहद कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती है. इससे हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर उठती है. ऊपर की नमी से मिलकर यह संघनित होती है और बादल का निर्माण करती है.
हर तूफान का नाम अलग-अलग रखा जाता है, क्या आपने कभी सोचा है कि तूफान को नाम कौन देता है और इनका मतलब क्या होता है? आइए जानते हैं तूफान के नाम किस आधार पर रखे जाते हैं.
दरअसल, जरूरी नहीं है कि एक समय पर एक ही तूफान आए. ऐसे में आपदा जोखिम जागरूकता, प्रबंधन और बचाव कार्यों को सुविधाजनक बनाने में किसी भ्रम से बचने के लिए हर तूफान को अलग नाम दिया जाता है.
शुरुआत में तूफान को मनचाहा बिना सोचे समझे नाम दे दिया जाता था. हालांकि, बाद में मौसम विज्ञानियों ने अधिक संगठित और कुशल प्रणाली के तहत तूफानों को एक लिस्ट से नाम देने का फैसला किया.
भारत में मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा तूफान का नाम तय किया जाता है. विभाग द्वारा तूफानों के नामों की सूची जारी की जाती है. एक बार किसी नाम का प्रयोग हो जाने के बाद उसे दोबारा नहीं दोहराया जाता.
मान लीजिए अरब सागर में कोई तूफान आने वाला है तो उससे प्रभावित होने वाले देश या उससे सटे देश तूफान का नाम तय करते हैं. 1 बार किसी देश ने नाम तय कर लिया तो अगली बार दूसरा देश नाम तय करता है.
इसी तरह देश के राज्यों के साथ होता है. मान लीजिए तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से एक तूफान टकराने वाला है तो या तो तमिलनाडु नाम रखेगा या आंध्र प्रदेश.
अगर पिछले तूफान का नाम तमिलनाडु ने रखा है तो दूसरे तूफान का नाम आंध्र प्रदेश रखेगा. इस राज्य के मौसम विभाग द्वारा वहां की रीजनल भाषा में तूफान का नाम मुख्य मौसम विभाग को दिया जाता है.
इसके बाद राजधानी दिल्ली में स्थित मुख्य मौसम विभाग तूफान के नाम पर आखिरी मुहर लगती है..
चक्रवात के नाम में अधिकतम आठ अक्षर हो सकते हैं. यह देश के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए. जनसंख्या के किसी भी समूह की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए.