11 Feb 2025
भारत में सोने के दाम में आए दिन उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. कभी सोने के दाम आसमान छूते हैं तो कभी सोना बेहद सस्ता हो जाता है.
सोने के खरीददार और विक्रेता लगातार इन कीमतों में उतार-चढ़ाव की निगरानी करते हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोना कब महंगा होना है और कम सस्ता होना है, यह कौन तय करता है? आइए आपको बताते हैं.
बुलियन मार्केट और सर्राफा बाजार. ये दो ऐसी जगह हैं जहां से सोना-चांदी का व्यापार होता है.
आम लोग सर्राफा बाजार से सोना खरीदते हैं. सोने के व्यापारी बुलियन मार्केट से फ्यूचर मार्केट के जरिए सोना-चांदी का व्यापार करते हैं.
Future Market यानी वायदा बाजार या वायदा एक्सचेंज में किसी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की सौदे के समय जो कीमत तय की जाती है.
भविष्य में किसी (सहमत) तारीख पर उसी कीमत पर डिलीवरी के लिए खरीदा और बेचा जाता है.
भारत में एक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज है, जो देश के बाजार में सोने की डिमांड और सप्लाई के आंकड़े जुटाकर सोने की कीमत तय करता है.
MCX का को-ऑर्डिनेशन लंदन के बुलियन मार्केट एसोसिएशन से भी है. सोने और चांदी के व्यापार के लिए बुलियन मार्केट को प्राइमरी ग्लोबल मार्केट माना जाता है.
सोने के दाम डिमांड और सप्लाई से भी बढ़ते घटते हैं. जैसे शादियों के सीजन में सोने के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं.
शादियों के अलावा त्योहारों के समय भी सोने की मांग बढ़ जाती है.
इसके अलावा जियोपॉलिटिकल उथल-पुथल से भी सोने की डिमांड और सप्लाई पर असर पड़ता है. इसमें युद्ध जैसा संकट भी शामिल है.