12वीं के बाद हाईकोर्ट में जज कैसे बनते हैं? ये है सिस्टम

22 March 2025

किसी भी स्ट्रीम (आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस) में 12वीं पास होना जरूरी है.  इसके बाद आपको कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) या अन्य स्टेट लेवल एंट्रेंस एग्जाम देना होगा.

प्रवेश परीक्षा

एंट्रेंस एग्जाम के स्कोर के आधार पर आप प्रतिष्ठित लॉ यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इंटीग्रेटेड 5 वर्षीय लॉ कोर्स जैसे BA LLB, B.Com LLB, BBA LLB आदि या ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी कर सकते हैं.

लॉ की पढ़ाई

राज्य लोक सेवा आयोग या हाईकोर्ट द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Services Examination) आयोजित की जाती हैं. इसमें तीन चरण- प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू होते हैं.

राज्य न्यायिक सेवा परीक्षा

न्यायिक सेवा परीक्षा दो प्रकार की होती हैं. सीधी भर्ती के लिए लोअर ज्यूडिशियरी परीक्षा. LLB करने के बाद, 21-35 वर्ष आयु सीमा वाले उम्मीदवार दे सकते हैं. बार काउंसिल में रजिस्टर्ड होना जरूरी नहीं.

लोअर ज्यूडिशियरी परीक्षा

कम से कम 7-10 साल का वकालत का अनुभव वाले हायर ज्यूडिशियरी परीक्षा (Higher Judiciary Exam) दे सकते हैं. सीधे जिला जज (District Judge) बनने का अवसर मिलता है.

हायर ज्यूडिशियरी परीक्षा

न्यायिक सेवा परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवारों को तीन साल के लिए जिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया जाता है. 3 साल बाद जिला जज और अनुभव बढ़ने के बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

अनुभव

भारत में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति उनके कॉलेजियम सिस्टम के आधार पर होती है. संविधान के अनुच्छेद 217 के खंड (1) के अंतर्गत जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव पर अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति की होती है.

राष्ट्रपति की मंजूरी

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