होम्योपैथी के रूप में जाना जाने वाली मेडिकल स्टडी का क्षेत्र केवल उनके लक्षणों का इलाज करने के बजाय बीमारियों को ठीक करने पर केंद्रित है.
कईं रिसर्च में ये बताया गया है कि होम्योपैथिक दवाईंयों का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. इसलिए ये पद्धति काफी सुरक्षित है.
आज दुनिया के 84 देशों में होम्योपैथी पद्धति से इलाज हो रहा है. भारत में करीब 2 लाख होम्योपैथी डॉक्टर्स हैं.
अगर आप होम्योपैथी डॉक्टर बनना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको डिग्री या फिर डिप्लोमा करना पड़ेगा.
होम्योपैथी डॉक्टर बनने के लिए के लिए 12वीं के बाद UG, PG, PhD, Diploma, Certificate कोर्स कर सकते हैं, जो एक से 5 साल तक की अवधि के होते हैं.
होम्योपैथी यूजी कोर्स यानी बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS) का डिग्री कोर्स कर सकते हैं.
BHMS कोर्स करने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी विषयों के साथ कम से कम 50% और रिजर्व कैटेगरी के लिए 45% होना चाहिए.
इस कोर्स में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET), IPU CET, PU CET या KEAM एंट्रेंस एग्जाम पास होना चाहिए.
कोर्स पूरा करने के बाद आप किसी सरकारी या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो अपना खुद का क्लीनिक भी खोल सकते हैं.
होम्योपैथी की खोज साल 1796 में एक जर्मन फिजीशियन Samuel Hahnemann ने की थी. भारत में इसकी शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी.