बच्चे आपसे ही सीखते हैं, आप अपने बच्चों के सामने पॉजिटिव रहिए. अपनी भाषा को सरल रखें और अपनी बात को स्पष्ट कहें. अगर आप अपने बच्चे के सामने कॉन्फिडेंस से रहेंगे तो वो आपको फॉलो करेंगे.
आपके बोलने के साथ-साथ आपका सुनना भी मायने रखता है. बच्चों के सवालों को सब्र रखकर जवाब दें. उनके साथ कम्युनिकेट करना जरूरी है. अगर आप अपने बच्चों को नहीं सुनेंगे तो ये उनके अंडरकॉन्फिडेंट होने का एक कारण बन सकता है.
स्टोरीटेलिंग से आप बच्चों में उत्साह पैदा कर सकते हैं. आपके हाथों और शारीरिक हाव-भाव से आप कहानी को और मजेदार बना सकते हैं. इससे बच्चा चीजें समझने के साथ-साथ उनके भावों को समझने में भी मदद मिलेगी.
पब्लिक स्पीकिंग आपके बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगी. पहले कम संख्या में लोगों के सामने बच्चे से बुलवाएं. अलग-अलग कार्यकर्मों में उसे भाग लेने को प्रोत्साहित करें. इससे बच्चे में बड़ी ऑडियंस के सामने बोलने का कॉन्फिडेंस आएगा.
डिबेट और डिसक्शन से बच्चे को अपनी कही बातों पर और भरोसा होगा. अगर आप अपने बच्चे का पसंदीदा चाजों के बारे में पूछेंगे तो अपनी लाइकिंग और डिसलाइकिंग के बारे में और जान सकेंगे.आपका बच्चा आपके साथ कंफरटेबल होकर संचार सीखेगा.
अगर आपके पड़ोसी कोई अलग भाषा बोलते हैं तो अपने बच्चे को भी वो भाषा सीखने के लिए उत्साहित करें. इसकी शुरूआत पड़ोसियों से बात करके हो सकती है. जब वो खुद को कुछ नया सीखने के लिए प्रोत्साहित होता देखेंगे तो ये सकारात्मक बदलाव लाएगा.
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