हर स्टेशन पर लिखी होती समुद्र तल से ऊंचाई... मगर ये समुद्र तल कहां का है?

23 May 2024

हर रेलवे स्टेशन पर आपने देखा होगा कि एक पट्टी पर समुद्र तल से ऊंचाई लिखी होती है. आपने कभी सोचा है कि यह समुद्र तल कहां का होता है?

भारत में समुद्र तल से ऊंचाई को मापने के लिए सामान्य रूप से मुंबई के पास स्थित 'एवरेस्ट मैपिंग' का उपयोग किया जाता है. 19वीं सदी में ब्रिटिश सर्वेयर जॉर्ज एवरेस्ट के नेतृत्व में इसे भारत के सर्वेक्षण के लिए आधार बनाया गया था.

मुंबई को समुद्र तल की गणना के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि यहां की तटरेखा स्थिर है और उथल-पुथल से मुक्त है. सामान्यतः समुद्र की सतह लगातार बदलती रहती है जिसका कारण है जलस्तर में उतार-चढ़ाव, ज्वार-भाटा और मौसम की परिस्थितियां.

ऐसे में, एक स्थिर आधार का चुनाव करना नीति-निर्माण के लिए अनिवार्य हो जाता है. मुंबई के समुद्र तल को औसत समुद्री स्तर माना जाता है और पूरे देश की ऊंचाई मापने के लिए इसका उपयोग किया जाता है.

रेलवे साइन बोर्ड पर लिखे Mean Sea Level से ट्रेन चालक को इस बात का पता चलता है कि अगर ट्रेन ऊंचाई की तरफ जा रही है तो उसकी स्पीड कितनी रखनी चाहिए.

ऐसे में समुद्र तल से हमारी धरती की ऊंचाई अलग-अलग जगहों पर अलग होती है. अगर समुद्र से दिल्ली की ऊंचाई देखी जाए तो ये 207 मीटर के आसपास है.

जबकि मुंबई की ऊंचाई करीब 7 मीटर है. यानी दिल्ली से मुंबई जाने के रास्ते में धरती और समुद्र तल के बीच का अंतर कम होता जाता है.

स्टेशन से समुद्र तल की ऊंचाई से ये भी पता चलता है कि जब ट्रेन ऊंचाई पर जाए तो इंजन को कितनी पावर सप्लाई देनी है. वहीं, अगर ट्रेन समुद्र तल के लेवल से नीचे की तरफ जाए तो उसकी स्पीड कितनी होनी चाहिए.

अगर ट्रेन नीचे की तरफ जाए तो ड्राइवर को कितना फ्रिक्शन लगाना पड़ेगा. इन सबके बारे में जानने के लिए रेलवे साइन बोर्ड पर Mean Sea Level लिखा जाता है.

धरती का आकार गोल है जिसके कारण इसकी सतह पर कर्व होता है. इसलिए इसकी ऊंचाई को नापने के लिए एक ऐसा पॉइंट चाहिए होता है, जो समान रहे इसके लिए समुद्र तल का सहारा लिया जाता है.