न कभी जूते-चप्पल पहने, न बाहर का कुछ खाया-पीया, बेहद अलग है भारत के इस गांव के लोगों की दुनिया

23 Dec 2024

घर से बाहर जाते वक्त या घर में भी, सभी पैरों में चप्पल, शूज या सैंडल पहनते हैं. इनके बिना घर से बाहर निकलना या सड़कों पर चलना मुश्किल लगता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों ने कभी भी पैरों में कुछ नहीं पहना.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में दूर-दूर तक जूते चप्पल की दुकान नहीं है. 

यह गांव आंध्र प्रदेश के तिरुपति से 50 किलोमीटर दूर स्थित है. गांव का नाम वेमना इंडलू है.

यहां के ग्रामीणों का कहना है कि ज़िलाधिकारी को गांव में आने पर गांव के बाहर ही अपने जूते उतारने होते हैं.

BBC की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के मुखिया एरब्बा ने बताया कि जब से जनजाति इस गांव में बसी है तब से यह प्रथा चली आ रही है.

उन्होंने बीबीसी तेलुगू को बताया, "जब हम बाहर जाते हैं तो नहाने के बाद ही घर में प्रवेश करते हैं और फिर खाना खाते हैं.''

मुखिया ने आगे कहा, ''मैं कई बार गांव से बाहर गया हूं. एक बार मुझे कचहरी के काम से पांच दिन के लिए गांव से बाहर रहना पड़ा. मैं जहां ठहरा था वहां के भोजन को हाथ तक नहीं लगाया."

एरब्बा बताते हैं, "मैं 47 साल से कोर्ट के काम से बाहर जा रहा हूं. लेकिन मैंने कभी बाहर का पानी भी नहीं पिया मैं घर से पानी लेकर चलता हूं और वह पानी ही पीता हूं.''

''बाहर का पानी का पीने का सवाल ही नहीं उठता. हम बाहर का खाना भी नहीं खाते."

एक और ग्रामीण ने कहा, "हम अपने जूते गांव के बाहर ही उतार लेते हैं, अगर हम किसी भी घर में प्रवेश करना होता है, तो हमें पहले स्नान करना पड़ता है.

यहां के ग्रामीण इन बातों को अपनी पुरानी परंपरा बताते हैं और अपने भगवान की पूजा करते हैं. उनके सम्मान में यह लोग ऐसा करते हैं. 

बीबीस न्यूज को ग्रामीणों ने बताया कि किसी के बीमार होने पर यह लोग अस्पताल भी नहीं जाते. अपने गांव में ही पूजा और प्रार्थना करके उसे ठीक करते हैं.

अगर कोई बाहर से आता है तो उसे भी इन रीति-रिवाजों का पालन करना पड़ता है, चाहे वह कितना भी बड़ा अफसर क्यों ना हो.

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