By: Aajtak Education
यह महाराष्ट्र के सतारा जिल से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आपशिंगे मिलिट्री गांव है, जहां के ज्यादातर लोगों की पहचान 'शहीद के परिवार से' होती है.
इस गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में शामिल होकर देश सेवा की परंपरा चली आ रही है. श्री छत्रपति शिवाजी स्कूल से ही बच्चों को फौज में जाने के लिए तैयार किया जाता है.
350 परिवार और 3000 लोगों के इस गांव में 1962 की जंग से लेकर आज तक शहीदों का इतिहास रहा है.
ब्रिटिश शासन के दौरान प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इस गांव के 46 जवान शहीद हुए थे और द्वितीय विश्वयुद्ध में इस गांव के चार जवान शहीद हुए थे.
चाहे चीन के खिलाफ 1962 की जंग हो या पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 में लड़ी गई जंग. इस गांव के नौजवानों ने हंसते-हंसते देश के नाम अपनी जान दी है.
जैसे एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर का इंजीनियर और टीचर का बेटा टीचर बन रहा है, उसी तरह इस गांव के बेटे सैनिक बन रहे हैं.
इस गांव के लोग नौसेना, वायुसेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों में सेवारत हैं.
हाल ही में इंडियन आर्मी ने पश्चिमी महाराष्ट्र के युवाओं के लिए इस गांव में 80 लाख की लागत से लर्निंग और फिजिकल फिटनेस सेंटर खोला गया है.