ना कर बैठें भूल! बेटियों की परवरिश में इन 10 बातों का जरूर रखें ध्यान

11 Oct 2023

हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. 

आज का दिन बेहद खास है. इस दिन गर्ल चाइल्ड यानी बेटी के अध‍िकारों की बात वैश्व‍िक स्तर पर उठाई गई थी. साल 2012 से इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाना शुरू किया गया.

इस खास मौके पर हम आपको कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो आपको बेटियों की परवरिश करते वक्त जरूर ध्यान रखनी चाहिए. 

 पेरेंट‍िंग हमेशा जेंडर न्यूट्रल यानी लैंगिंक पहचान से अलग होनी चाहिए. अपने बच्चों की नर्चरिंग और केयरिंग एक संतान के तौर पर करनी चाहिए.

जेंडर न्यूट्रल हो पेरेंटिंग

महिलाओं के खिलाफ अपराध की खबरें हम हर रोज पढ़ते हैं. ऐसे में जरूरी है कि  बेट‍ियों को इस बारे में संवेदनशील बनाएं कि वो अपनी बात कहना सीखें. 

बेटियों को बात कहना सिखाएं

बेटियों को  किसी भी तरह की हीन भावना का श‍िकार न होने दें. इससे उनकी पर्सनैलिटी में कई तरह के डिसऑर्डर आ जाते हैं जो आगे चलकर मानसिक समस्याओं को जन्म देते हैं. 

हीन भावना का शिकार ना होने दें

अपनी बेटियों को बचपन से ही सिखाएं कि क्यों उनके लिए फाइनेंश‍ियली स्ट्रांग होना जरूरी है.

बेटियों को बनाएं फाइनेंश‍ियली स्ट्रांग

बेटियों को कभी न बताएं कि लड़की हो इसलिए शेप में आना जरूरी है, रंग साफ होना जरूरी है. 

बॉडी शेमिंग न सिखाएं

बेटी की परवरिश के दौरान हम उन्हें चुप रहना न सिखाएं, बल्क‍ि उन्हें ये सिखाएं कि कोई फिजिकल एसॉल्ट हो तो वो स्टीरियोटाइप से बाहर आएं और अपनी समस्या जरूर कहें.

उन्हें चुप रहना न सिखाएं

अगर कोई टीनेज लड़की बताए कि उसे फला ने प्रपोज किया या टीचर, साथी स्टूडेंट या किसी रिश्तेदार से परेशानी है तो उन्हें बिना जज किए सुनें. 

बिना जज किए बेटी को सुनें

बेटियों में आत्मविश्वास की कमी अक्सर देखी जाती है. आपको बचपन से ही अपनी बेटियों को खुद के लिए निर्णय लेना, खुद की बातें कहना सिखाना चाहिए. इससे बच्चियों में आत्मविश्वास बढ़ता है. 

परवरिश से ही आएगा आत्मविश्वास

बेट‍ियों की मां को बच्च‍ियों को मेंशुअल हाइजीन, ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस, हेल्दी लाइफस्टाइल के बारे में बच्चों से संवेदशीलता से बात करनी चाहिए. उन्हें इस बारे में जागरूक करना चाहिए वरना बच्चों को आगे चलकर परेशानी हो सकती है. 

हेल्दी लाइफस्टाइल पर करें बात

 बेटियों को अपने हक के लिए लड़ना जरूर सिखाएं. उन्हें बताएं कि उनके लिए क्या सही है क्या गलत. बेटियों को सही और गलत की पहचान सिखाएं. 

अधिकारों के लिए खड़े होना सिखाएं