13 May, 2023 By: aajtak.in

चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब क्या? जान लीजिए

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 जब भी किसी चुनाव के नतीजे सामने आते हैं, तो कुछ शब्द बहुत ही आम होते हैं. 

Pic Credit: urf7i/instagram

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उनमें से एक शब्द है जमानत जब्त होना. क्या आप जमानत जब्त होने का मतलब जानते हैं? 

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दरअसल, हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग में जमा करानी होती है. इसे ही 'जमानत राशि' कहा जाता है.

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अगर कोई उम्मीदवार तय वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है. 

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पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार को जमानत राशि देनी होती है. 

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लोकसभा चुनाव : सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है.

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कितनी होती है जमानत राशि?

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सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

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विधानसभा चुनाव

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राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सभी उम्मीदवारों को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

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राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव

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चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है. 

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क्यों हो जाती है जमानत जब्त?

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यही फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करने होते हैं.

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