जब भी किसी चुनाव के नतीजे सामने आते हैं, तो कुछ शब्द बहुत ही आम होते हैं.
Pic Credit: urf7i/instagramउनमें से एक शब्द है जमानत जब्त होना. क्या आप जमानत जब्त होने का मतलब जानते हैं?
Pic Credit: urf7i/instagramदरअसल, हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग में जमा करानी होती है. इसे ही 'जमानत राशि' कहा जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramअगर कोई उम्मीदवार तय वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है.
Pic Credit: urf7i/instagramपंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति के चुनाव तक, हर चुनाव में लड़ने वाले उम्मीदवार को जमानत राशि देनी होती है.
Pic Credit: urf7i/instagramलोकसभा चुनाव : सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है.
Pic Credit: urf7i/instagramसामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.
Pic Credit: urf7i/instagramराष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सभी उम्मीदवारों को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.
Pic Credit: urf7i/instagramचुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है.
Pic Credit: urf7i/instagramयही फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करने होते हैं.
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