17 Oct 2024
मानव इतिहास (Indian History) में मिस्र, यूनान और रोमन युगों से न्याय की देवी (Lady Justice) का जिक्र आता रहा है जिनके एक हाथ में तलवार दूसरे हाथ में तराजू और आंखों पर पट्टी बंधी रहती थी.
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दुनिया में कई देशों में इन्हीं पौराणिक किरदारों के आधार पर प्रचिलत न्याय की देवी की मूर्ति को माना जाता है, जिनका जिक्र न्यायालयों (Court rooms), न्याय पुस्तकों आदि में होता है.
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हाल ही में भारत में सुप्रीम कोर्ट में 'न्याय की देवी' वाली प्रतिमा में बड़े बदलाव किए गए हैं. अबतक इस प्रतिमा पर लगी आंखों से पट्टी हटा दी गई है.
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वहीं, हाथ में तलवार की जगह भारत के संविधान की कॉपी रखी गई है.
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क्या आप जानते हैं कि न्याय की देवी के हाथ में तलवार, आखों पर पट्टी और एक हाथ में तराजू होने का मतलब क्या है? आइए बताते हैं.
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न्याय की देवी (Lady Justice) के हाथ में तराजू और तलवार होने के साथ आंखों में पट्टी न्याय प्रणाली में नैतिकता के विशेष प्रतीक माने जाते हैं.
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इनमें आंखों की पट्टी (Blindfold Lady Justice) की बात करें तो यह समानता (Equality) का प्रतीक है.
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जिस तरह से ईश्वर सभी को एक रूप में ही देखता है, कोई भेदभाव नहीं करता है, उसी तरह न्याय की देवी भी अपने सामने किसी को बड़ा छोटा नहीं मानती.
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न्याय की देवी (Lady Justice) के हाथ में तराजू की अवधारणा मिस्र संस्कृति से आई बताई जाती है.
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मिस्र में तराजू ( Symbol of Scales) को न्याय का प्रतीक माना जाता है जो संतुलन का भी प्रतीक है.
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यह तराजू दर्शाता है कि न्याय में एक पक्ष पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि दोनों पक्ष की समान रूप से (Balance) सुनवाई होती है.
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