दिल्ली मेट्रो में मिनी स्कर्ट और ब्रा पहने एक लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
पब्लिक प्लेस पर ऐसे कपड़े पहनकर निकलने के बाद अश्लीलता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छिड़ गई है.
कुछ लोग इसे वीमेन एम्पावरमेंट से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठते हैं कि कानून में ऐसे मामलों के लिए क्या व्यवस्था की गई है?
लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारतीय कानून के तहत "अश्लीलता" की परिभाषा सब्जेक्टिव है. अश्लीलता लोगों की नैतिकता के मानक पर निर्भर करता है.
मेट्रो गर्ल के मुद्दे को "अभद्रता" के साथ संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी देखा जाना चाहिए. जो अपनी पसंद का हक देता है.
लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक, मेट्रो गर्ल को कपड़ों की पसंद के कारण आपराधिक कानून या डीएमआरसी के नियमों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि सार्वजनिक स्थान पर एक महिला क्या पहन सकती है या क्या नहीं, इस पर कोई सीधा कानून नहीं है. पूरी रिपोर्ट नीचे पढ़ें.