08 Aug 2024
2024 पेरिस ओलंपिक्स में मनु भाकर ने शूटिंग में भारत को पहला पदक दिलाकर इतिहास रच दिया है. पिछले करीब 2 दशकों में भारत के निशानेबाजों ने पूरी दुनिया में परचम लहराया है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि ओलंपिक में इस्तेमाल होने वाली बंदूक खिलाड़ियों को कैसे मिलती है और क्या वे अपनी पसंद की राइफल, पिस्टल ला सकते हैं?
नियमों की मानें तो किसी लोकप्रिय निशानेबाज को 12 बंदूक अपने पास रखने की इजाजत है. मगर कुछ शूटिंग एथलीटों को 8-10 बंदूक रखने की अनुमति है.
गोलियों की बात करें तो ये एथलीट .22 LR राइफल या पिस्तौल के लिए 5 हजार गोलियां रख सकते हैं.
दूसरी ओर पिस्तौल/रिवॉल्वर के लिए 2 हजार गोलियां रखने की इजाजत होती है.
ओलंपिक में भाग लेने वाले निशानेबाजों को भी लाइसेंस लेना पड़ता है. एथलीटों को 1878 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए आर्म्स एक्ट के तहत लाइसेंस लेना होता है.
ओलंपिक में दावेदारी पेश करने वाले एथलीटों को उनके देश की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति या फिर राष्ट्रीय महासंघ बंदूक मुहैया कराता है.
भारत का कोई एथलीट ओलंपिक या किसी अंतर्राष्ट्रीय इवेंट में भाग लेता है तो नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) या फिर भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) उसे बंदूक मुहैया कराएगी.
मगर कई बार एथलीट अपनी पसंद की बंदूक से खेलना पसंद करते हैं, ऐसे में खेल के हिसाब से चेकिंग के बाद उन्हें इजाजत मिल जाती है. वहीं कई बार स्पॉन्सर भी उन्हें बंदूक देते हैं.
एथलीटों को आम लोगों की तुलना में बंदूक खरीदने के लिए अधिक छूट भी मिलती है.