क्या करें, अगर छोटे बच्चे की मां को हो जाए पोस्टपार्टम डिप्रेशन...
By: Aajtak Education
मां बनना जितना सुखद अनुभव होता है, पोस्टपार्टम डिप्रेशन उतना ही तनाव भरा अनुभव होता है.
नई मांओं को अक्सर पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है. इसमें तनाव, उदासी, दुख व घबराहट जैसे लक्षण होते हैं.
पोस्टपार्टम साइक्रेटिक डिसऑर्डर की पहली श्रेणी पोस्टपार्टम ब्लूज, दूसरी पोस्टपार्टम डिप्रेशन और तीसरी पोस्टपार्टम साइकोसिस होती है.
पूरी दुनिया में 1000 मां में से 300‒750 पोस्टपार्टम ब्लूज का शिकार होती हैं लेकिन ज्यादातर तकरीबन एक सप्ताह में नॉर्मल हो जाता है.
अगर ये लक्षण एक सप्ताह से आगे बढ़ते हैं तो ये पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेता है
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टेरोन जैसे हैप्पी हार्मोन्स बनते हैं फिर प्रसव के बाद इन हार्मोन्स में तेजी से बदलाव होते हैं.
हैप्पी हार्मोंस बढ़ाने के लिए मां का बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना जरूरी है. दिन में कईबार अपने बच्चे को सीने से लगाकर प्यार करें.
ज्यादा से ज्यादा नींद लें. परिवार वालो को इसमें मदद करनी चाहिए. बच्चे को साथ रखें और मां को सोने का पूरा वक्त दें.
अगर तनाव-बेचैनी-घबराहट ज्यादा है. हर वक्त रोने का मन करता है, भूख-नींद पर असर है तो डॉक्टर से तत्काल परामर्श लें.