शरीर के साथ-साथ मेंटल हेल्थ को ठीक रखना भी जरूरी है. तनाव, डिप्रेशन आदि का शिकार लोगों को काउंसलर या डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी जाती है.
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कुछ लोग कहते हैं कि मनोचिकित्सक (Psychiatris) के पास जाना चाहिए तो कुछ लोग कहते हैं कि मनोवैज्ञानिक (Psychologist) के पास जाना चाहिए.
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दोनों ही मानसिक स्वास्थय से जुड़े हुए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें अंतर क्या है? आइए क्लीयर करते हैं कन्फ्यूजन.
मनोविज्ञान का अर्थ होता है साइकोलॉजी. इसका डॉक्टर बनने के लिए एमएससी साइकोलॉजी की डिग्री हासिल करनी होती है.
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अगर कोई सदमें में है, किसी दुख में है, तनाव और डिप्रेशन से परेशान है तो उसे मनोवैज्ञानिक (Psychologist) विभिन्न प्रकार की चिकित्सीय तकनीकों का इस्तेमाल करके उसकी साइकोथैरिपी करता है.
इसमें लोगों के कार्यों और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने वाली चीजों की जांच की जाती है या कहे कि इसमें मरीद की काउंसिलंग की जाती है.
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साइकेट्रिस्ट को मनोचिकित्सक कहा जाता है. इसका डॉक्टर बनने के लिए बाकयदा पढ़ाई करके एमबीबीएस की डिग्री लेनी पड़ती है. यह मानसिक रोगियों को ठीक करते हैं और Psychiatrit कहलाते हैं.
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मनोवैज्ञानिक (Psychologist) मरीज की काउंसलिंग कर उसे अच्छे साइकेट्रिस्ट से दवा लेने का परामर्श अवश्य देता है.
साइकोलॉजिस्ट काउंसलिंग से लोगों की थेरेपी करता है, वहीं एक साइकेट्रिस्ट विशेषज्ञ एमबीबीएस डॉक्टर होते हैं, जो थेरेपी के साथ दवाइयां भी देते हैं.
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