रेप पीड़िता की पहचान उजागर की तो मिलती है इतने सालों की सजा, जानिए क्या है कानून

21 Aug 2024

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से हुई दरिंदगी की घटना पर पुलिस और सुप्रीम कोर्ट एक्शन मोड में है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई प्रशिक्षु डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की पहचान का खुलासा करना निपुण सक्सेना मामले में पारित उसके आदेश का उल्लंघन है.

ऐसे में आइए जानते हैं कि रेप पीड़िता की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करने पर क्या सजा मिल सकती है.

किसी रेप पीड़िता की तस्वीर शेयर करना ट्वीट/पोस्ट किशोर न्याय कानून, 2015 के प्रावधान का उल्लंघन है.

इसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि परिवार की जानकारियों समेत ऐसी कोई जानकारी मीडिया के रूप में प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए जिससे किसी भी नाबालिग पीड़िता की पहचान हो सकती है.

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) का सेक्शन 72 इस बारे में बात करता है. कोई भी शख्स या समूह अगर किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान जाहिर करता.

उसकी तस्वीरें छापता, सोशल मीडिया या टीवी पर दिखाता है, जिसके साथ यौन शोषण हुआ हो, या जिसने ये आरोप लगाया हो.

ऐसे मामले में आइडेंटिटी जाहिर करने वाले व्यक्ति को कुछ महीनों से लेकर दो साल की कैद हो सकती है.

बता दें कि बीएनएस के 64 से लेकर 71 तक के सेक्शन्स में महिलाओं और बच्चों के साथ रेप और यौन दुर्व्यवहार पर बात होती है.

इस धारा का दूसरा हिस्सा कहता है कि पीड़िता की मौत की स्थिति में तब ही उसकी पहचान उजागर की जा सकती है, जब ऐसा किया जाना बेहद जरूरी लगे.

इस बारे में फैसला लेने का अधिकार भी सेशन जज के स्तर या उससे आगे के स्तर के अधिकारियों को ही है.