By Aajtak.in
आसमान में बारिश होने पर या बारिश के बाद अक्सर इंद्रधनुष दिखाई देता है. यानी सात अलग-अलग रंग की किरणें जो एक साथ आकर इंद्रधनुष बनाती हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान में अचानक ऐसा क्या होता है कि उसमें अलग-अलग रंग एक साथ दिखाई देते हैं? आइए जानते हैं Rainbow कैसे बनता है.
अगर आप PRISM के एक कोने पर लाइट डालेंगे तो दूसरे कोने पर अलग-अलग रंग नजर आएंगे. क्योंकि PRISM पर लाइट पड़ने पर यह सात अलग-अलग रंगों में बंट जाती है.
ठीक इसी तरह से आपको आसमान में Rainbow दिखाई देता है, क्योंकि आसमान में पानी की बूंदें Prism का काम करती हैं.
जब सूरज की रोशनी बारिश की बूंदों पर पड़ती है तो यह सात अलग-अलग रंगों में बंट जाती है, जिस कारण आसमान में एक साथ सात रंग दिखाई देते हैं जिसे इंद्रधनुष कहते हैं.
Rainbow के इन सात रंगों को VIBGOYR कहा जाता है. यानी कि Voilet, Indigo, Green, Orange, Yellow और Red.
Rainbow में हमें हमेशा यही सात रंग क्यों दिखाई देते हैं? इसके पीछे की वजह है 'Spectrum of colours'. आइए जानते हैं इसका मतलब.
दरअसल, इंसान की आंखें सिर्फ उन्हीं रंगों को देख पाती हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य (Wave length) अच्छी होती है. नासा के अनुसार, इंसानी आंखें रंगों की 380 to 700 nanometers wavelength तक देख सकती हैं.
इंद्रधनुष में अलग-अलग रंग इसीलिए दिखाई देते हैं क्योंकि प्रत्येक रंग की अलग वेवलेंथ होती हैं. वायलेट की 380 नैनोमीटर की वेवलेंथ होती है. वहीं, लाल की 700 नैनोमीटर.
जिस रंग की सबसे ज्यादा वेवलेंथ होती है हमारी आंखें सबसे पहले उसी को देखती हैं, इसीलिए हमेशा सभी को इंद्रधनुष में समान ऑर्डर में रंग दिखाई देते हैं. यानी कि रंगों की वेवलेंथ के अनुसार.