स्कूल में जब हम नोटबुक पर लिखते थे तो मार्जिन लाइंस का बहुत ध्यान रखना पड़ता था.
हम ये सुनिश्चिन करते थे कि मार्जिन लाइन से कोई भी शब्द बाहर ना जाए.
तो क्या नोटबुक पर इसलिए ही मार्जिन लाइंस की शुरुआत हुई थी?
अगर आपका जवाब हां है तो आप गलत हैं. दरअसल, इन मार्जिन लाइंस का हमारी लिखाई से कोई लेना-देना नहीं है.
मार्जिन लाइंस की शुरुआत का कनेक्शन तो बल्कि चूहों से है. आइए जानते हैं कैसे.
पुराने समय में एक समस्या जो बहुत आम थी, वो थी चूहों की समस्या. चूहे लगभग हर चीज कुतर देते थे.
कई बार जरूरी कागजात भी चूहे कुतर देते थे, जिस कारण से लोगों को बहुत परेशानी होती थी.
इसी समस्या को दूर करने के लिए मार्जिन लाइंस बनना शुरू हुईं. ये मार्जिन लाइंस सभी जरूरी दस्तावेजों पर बनने लगीं.
चूहे सबसे पहले पेपर का किनारा ही कुतरना शुरू करते थे. मार्जिन होने की वजह से लोग कोने से लिखना नहीं शुरू करते थे.
ऐसे में जब चूहे पेपर के किनारे कुतर भी देते थे तब भी कागज पर लिखी कोई जरूरी सूचना या जानकारी को नुकसान नहीं पहुंचता था.