किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर आपको कुछ चीजें आराम से देखने को मिल जाएंगी. कुछ मजदूर, काम करने के लिए अलग-अलग मशीनें और नीले, पीले, हरे रंग के हेलमेट.
इन हेलमेट को सेफ्टी हेल्मेट कहा जाता है. अगर सुरक्षा के लिहाज से हेलमेट बनाए गए हैं तो इन्हें अलग-अलह रंग क्यों दिया गया?
किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर लोग जिम्मेदारी के हिसाब से हेल्मेट्स पहनते हैं. हेलमेट के रंग से ये पहचाना जा सके कि कौन सा व्यक्ति उस साइट पर क्या काम करने के लिए मौजूद है.
अगर आप किसी को सफेद रंग का सेफ्टी हेलमेट पहने देखें तो समझ जाएं कि वो व्यक्ति वहां किसी सीनियर वर्ग जैसे इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर आदि है.
हरे हेलमेट आमतौर पर सेफ्टी अधिकारी या इंसपेक्टर द्वारा पहना जाता है. साथ ही, ये उन व्यक्तियों द्वारा पहना जाता है जो या तो नौकरी पर नए हैं या ट्रेनिंग कर रहे हैं.
साइट पर काम कर रहे मजदूरों के द्वारा पीले रंग का हेलमेट पहना जाता है. इनमें वो मजदूर शामिल होते हैं जो साइट पर भारी मशीनरी संचालित करते हैं या सामान्य श्रम का कार्य करते हैं.
ये आमतौर पर उन मजदूरों द्वारा पहना जाता है जो सड़क निर्माण का कार्य कर रहे होते हैं. वहीं, सड़क निर्माण के कार्य में किसी नए व्यक्ति को ये हेलमेट दिया जाता है.
नीले रंग का हेलमेट इलेक्ट्रीशियन या कारपेंटर द्वारा पहना जाता है.
ग्रे रंग का सेफ्टी हेलमेट विजिटर्स या क्लाइंट द्वारा पहना जाता है. कुछ साइट्स पर पिंक हेलमेट मौजूद होता है. ऐसा इसलिए ताकि अगर कोई अपना हेलमेट भूल गया तो उस दिन उसे पहन सकता है.
लाल रंग का हेलमेट फायर फाइटर्स द्वारा पहना जाता है.