भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें राष्ट्र की निस्वार्थ सेवा के लिए याद किया जाता है.
31 अक्टूबर, 1875 को जन्मे पटेल ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि स्वतंत्रता के बाद उनका भारत निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
पेशे से वकील पटेल, महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने छुआछूत, जातिगत भेदभाव, शराब के सेवन और महिला उत्पीड़न के खिलाफ पूरे देश में व्यापक रूप से जागरूकता फैलाई.
वल्लभ भाई पटेल को भौगोलिक स्वरूप के निर्माता के रूप में जाना जाता है. वल्लभभाई पटेल, चंपारण सत्याग्रह की सफलता के चलते महात्मा गांधी से काफी प्रभावित हुए थे.
साल 1928 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया. साइमन कमीशन के खिलाफ इस आंदोलन में बढ़ाए गए कर का विरोध किया गया.
काफी संघर्ष के बाद ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा था और बारडोली सत्याग्रह के चलते पूरे देश में वल्लभभाई का नाम प्रसिद्ध हुआ.
अकाल और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए बढ़े हुए टैक्स के खिलाफ गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटल के विरोध के कारण उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी गई.