23 Oct 2024
क्या आपने कभी Zombies के बारे में सुना है? जॉम्बीज़ को लेकर हॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं.
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जॉम्बीज़ वह मरे हुए लोग होते हैं जो अचानक उठ जाते हैं और चलने लगते हैं, धीरे-धीरे वे जिन्दा लोगों को भी अपने जैसा ही बना देते हैं.
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अब इनपर अमेरिका की जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी कोर्स शुरू करने जा रही है.
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दरअसल, जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में, हैलोवीन का मतलब केवल डरावने कपड़े या सजावट नहीं है. यह मरे हुए लोगों के ऊपर स्टडी करने का भी समय है.
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अमेरिका की यह यूनिवर्सिटी जॉम्बीज़ पर अंडर ग्रेजुएट कोर्स करवा रही है. यह समझने के लिए कि जॉम्बीज़ हमारी दुनिया को कैसे प्रभावित करते हैं और वे दुनिया से कैसे प्रभावित होते हैं.
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यह कोर्स यूनिवर्सिटी के सोशियोलॉजी और एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट के अंतर्गत करवाया जाएगा.
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जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इसमें 140 से ज्यादा छात्र इस कोर्स में शामिल हो सकते हैं.
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कोर्स में केवल ज़ॉम्बी फिल्मों और टीवी शो पर चर्चा नहीं की जाएगी बल्कि उनके पूरे अस्तित्व को समझने पर बात होगी.
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इन टॉपिक्स से छात्रों को अलग-अलग संस्कृतियों में जॉम्बीज़ को लेकर जो कहानियां हैं, उनके बारे में पता चलेगा.
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साथ ही ये भी पता चलेगा कि आज का समाज जिंदगी, मौत, स्वास्थ्य और बीमारी को किस तरह देखता है.
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इस कोर्स को पढ़ाने वाली टेरीली एडवर्ड्स के मुताबिक, यह सिलेबस ज़ॉम्बी लोककथाओं के बारे में पढ़ाता है. विशेष रूप से जॉम्बीज़ और अफ्रीकी डायस्पोरा के बीच क्या संबंध है.
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बता दें कि ये कोर्स केवल लोककथाओं तक सीमित नहीं है. यह यह भी कवर करता है कि कैसे जॉम्बीज़ का कॉन्सेप्ट फिल्म और टेलीविजन में इतना लोकप्रिय कैसे हो गया.
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इस कोर्स के सिलेबस के पहले सप्ताह में विशेष रूप से द वॉकिंग डेड सीरीज पर फोकस किया जाता है. इस सीरीज ने कई मायनों में टेलीविजन शो और फिल्म की दुनिया में जॉम्बीज़ की एंट्री करवाई थी.
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अपने सेमेस्टर प्रोजेक्ट के लिए, छात्रों को एक लिस्ट में से दो जॉम्बी फिल्मों का रिव्यू करने का काम सौंपा जाता है.
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जानकारी के लिए, जॉम्बीज़ का कॉन्सेप्ट पहली बार 1930 के दशक में आया. इन्हें ऐसे लोगों के रूप में दिखाया गया जो मानसिक रूप से कमजोर थे और जिन्हें आसानी से कंट्रोल किया जा सकता था.
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