ये है वो रहस्य जिसे 10 साल से ढूंढ रहे थे वैज्ञानिक, AI को दो दिन लगे!

26 Feb 2025

Photo Credit: Meta AI

कई बार दवाई लेने के बाद भी बीमारी से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कुछ बैक्टीरिया एंटीबायोटिक से भी नहीं मरते. कुछ साइंटिस्ट कई सालों से इसके पीछे की वजह पता लगाने की रिसर्च कर रहे थे कि ऐसा क्यों होता है?

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोसे आर पेनाडेस और उनकी टीम 10 साल से यही पता लगाने में जुटी थी कि कुछ सुपरबग (ऐसे बैक्टीरिया जो एंटीबायोटिक से भी नहीं मरते) आखिर कैसे बनते हैं.

BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये खतरनाक बैक्टीरिया अलग-अलग वायरस से tail बना लेते हैं, जिससे वे एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में आसानी से फैल सकते हैं.

दरअसल, जीवाणु (बैक्टीरिया) और कवक समय के साथ एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिसे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहा जाता है. यह एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है.

बैक्टीरिया और कवक एंटीबायोटिक से प्रतिरक्षित क्यों होते हैं? इसके पीछे की जो वजब सामने आई वो इस प्रकार है-

बैक्टीरिया और कवक अपने जीन में बदलाव कर लेते हैं, जिससे एंटीबायोटिक दवा उन पर असर नहीं कर पाती.

जेनेटिक म्यूटेशन

बैक्टीरिया अपने प्रतिरोधी जीन को एक-दूसरे में स्थानांतरित कर सकते हैं, जिससे नए बैक्टीरिया भी प्रतिरक्षित हो जाते हैं.

जीन ट्रांसफर

जब एंटीबायोटिक्स का अनावश्यक या अत्यधिक उपयोग किया जाता है, तो बैक्टीरिया बचने के तरीके ढूंढ लेते हैं और दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं.

एंटीबायोटिक का ज्यादा यूज

कई बार लोग एंटीबायोटिक दवाएं पूरी अवधि तक नहीं लेते, जिससे जीवाणु कमजोर तो होते हैं लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होते. वे फिर से विकसित होकर प्रतिरक्षित रूप में उभरते हैं.

अधूरी दवा खुराक

कुछ बैक्टीरिया और फंगल कोशिकाएं एक सुरक्षात्मक परत (बायोफिल्म) बना लेते हैं, जिससे एंटीबायोटिक्स उन तक नहीं पहुंच पातीं.

बायोफिल्म बना लेना

गूगल के AI ने सिर्फ 48 घंटों में मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीक का उपयोग करके उन जीन और तंत्रों की पहचान की, जिनसे बैक्टीरिया और कवक एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो रहे थे.

AI ने इस रहस्य को कैसे हल किया?

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