हिंदू धर्म में माथे पर बिना तिलक लगाएं पूजा संपन्न नही मानी जातीै. हर पूजा में भगवान को चंदन, रोली आदि का टीका लगाया जाता है फिर भक्त उस टीके को अपने माथे पर लगाते हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीके का महत्व क्या है और इसे माथे पर पूजा के दौरान क्यों लगाया जाता है. आइए जानते हैं इसका कारण.
हिंदू धर्म के अनुसार, तिलक लगाने से स्वास्थ्य उत्तम होता है, मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है.
कहा जाता है कि चन्दन के तिलक से एकाग्रता बढ़ती है. वहीं, रोली और कुमकुम के तिलक से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है.
केसर के तिलक से यश बढ़ता है, कार्य पूरे होते हैं. गोरोचन के तिलक से विजय की प्राप्ति होती है. अष्टगंध के तिलक से विद्या बुद्धि की प्राप्ति होती हैं.
बिना स्नान किए तिलक नहीं लगाया जाता है. पहले तिलक इष्ट या भगवान को लगता है फिर स्वयं को तिलक लगाते हैं.
खुदको को अनामिका उंगली से, तथा दूसरे को अंगूठे से तिलक लगाएं. तिलक लगाकर सोना गलत माना जाता है.
तिलक आमतौर पर चावल के दानों के साथ लगाया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू धर्म में चावल के दानों को सकारात्मकता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क पर तिलक लगाने के दौरान उस जगह को दबाने से शरीर का ब्लड फ्लो अच्छा होता है, एकाग्रता बढ़ती है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा देने वाले एक चक्र में से एक है.
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