जानिए ट्रेन टिकट चेक करने वाले TTE और TC में अंतर? काम और अधिकार

11 Dec 2024

भारतीय रेल में यात्रा के दौरान रेलवे प्लेटफार्म से लेकर चलती ट्रेन में यात्रियों से टिकट के बारे में पूछताछ करने के लिए रेलवे अपने कर्मचारियों को नियुक्त करता है, जिन्हें TTE या TC कहते हैं.

आमतौर पर लोग TTE और TC को एक ही समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है. हालांकि दोनों ही रेलवे के कमर्शियल डिपार्टमेंट से आते हैं, लेकिन इन दोनों लोगों के काम अलग-अलग होते हैं.

इनकी नियुक्ति रेलवे के वाणिज्य विभाग के अंतर्गत देश में चलने वाली प्रीमियम से लेकर मेल एक्सप्रेस ट्रेनों तक में की जाती है.

TTE (ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर)

टीटीई का काम ट्रेन में यात्रा कर रहे लोगों से उनके टिकट की जांच, पहचान पत्र से मिलान और बेटिकट यात्रा कर रहे लोगों से जुर्माना वसूलना भी होता है.

इनके पास ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों की एक लिस्ट होती है जिससे वह यात्रा कर रहे लोगों से मिलान करते हैं.

अगर कोई कंफर्म रिजर्वेशन होने के बावजूद यात्रा नहीं कर रहा है तो उस खाली सीट को लेकर भी इनको अधिकार होता है कि वह आरएसी या वेटिंग लिस्ट के यात्री को निर्धारित शुल्क लेकर वह सीट अलॉट कर दें.

यात्रा के दौरान अगर आप किसी परेशानी में हैं या रेलवे से संबंधित किसी प्रकार की असुविधा हो रही है तो आप अपनी शिकायत टीटीई के पास रखी शिकायत पुस्तिका में दर्ज करवा सकते हैं.

इनकी ड्यूटी रनिंग ट्रेन में लगाई जाती है जो एक निश्चित दूरी के लिए निर्धारित होती है और इनकी सारी गतिविधियां ट्रेन के अंदर ही होती हैं.

टीसी की नियुक्ति भी रेलवे के वाणिज्य विभाग के अंतर्गत की जाती है. टीटीई को ट्रेन के अंदर टिकट चेक करने का अधिकार होता है, जबकि टीसी को ट्रेन के बाहर टिकट चेक करने का अधिकार होता है.

TC (टिकट कलेक्टर)

टीसी की ड्यूटी रेलवे प्लेटफार्म के साथ-साथ निकास और प्रवेश द्वार पर भी लगाई जाती है, ताकि ट्रेन से उतर कर आने वाले यात्रियों का टिकट चेक कर सकें.

अगर आप बिना किसी वैध टिकट के स्टेशन के प्लेटफार्म या स्टेशन परिसर के क्षेत्र में मौजूद हैं तो भी यह आपसे टिकट की मांग कर सकते हैं और जुर्माना लगा सकते हैं.

जुर्माना लगाने की स्थिति में यह निर्धारित जुर्माना लेने के बाद उसकी रसीद भी संबंधित व्यक्ति को देते हैं.

All Photos Credit: AI जनरेटेड