माइनस में टेंपरेचर जाने के बाद भी मैदानी इलाकों में क्यों नहीं होती बर्फबारी?

11 Feb 2025

क्या आपने कभी सोचा है कि टेंपरेचर जीरो या माइनस में पहुंचने के बाद भी मैदानी इलाकों में बर्फबारी क्यों नहीं होती है?

पहाड़ों में सर्दियां शुरू होते ही कई बार माइनस में टेंपरेचर चला जाता है और बर्फबारी शुरू हो जाती है.लेकिन मैदानी इलाकों में टेंपरेचर माइनस में जाने के बाद भी बर्फबारी नहीं होती है.

टेंपरेचर जीरो या माइनस में पहुंचने के बाद भी बर्फबारी नहीं होने के पीछे भौगोलिक कारण के साथ-साथ मौसम से जुड़े तकनीकी कारण भी हैं.

आपको बता दें कि बर्फबारी के लिए बादलों की जरुरत होती है. मैदानी इलाकों में बादल के होने से तापमान बढ़ता है और ऐसे में शून्य डिग्री के साथ-साथ बादल का कॉम्बिनेशन हो जाए ऐसा होना काफी मुश्किल है.

मैदानी इलाकों में जब हिमालय पर होने वाली बर्फबारी के बाद ठंडी बर्फीली हवाएं उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों की तरफ जाती है तब तापमान माइनस में चला जाता है. इस साल जनवरी में सीकर, चूरू सहित कई जगहों पर न्यूनतम तापमान शून्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.

आमतौर पर यह हवा शुष्क होती है, इसलिए बादल नहीं बन पाते हैं. इसलिए इनकी वजह से तापमान काफी नीचे तो चला जाता है लेकिन बर्फबारी जैसे हालात पैदा नहीं होते.

कई जगहों पर मैदानी इलाकों में ठंड में पाला देखने को मिलता है. पाला बर्फ की एक पतली परत होती है, जो या तो वायुमंडल में मौजूद पानी के कणों के कम तापमान पर जमने से बनता है.