एक ही पौधे पर दोनों उगते हैं... सरेआम बिकती है भांग, फिर गांजे पर क्यों लगा है बैन?

23 Feb 2024

भांग और गांजे का इस्तेमाल लोग नशा करने के लिए करते हैं. हालांकि, इनका प्रयोग आयुर्वेद में औषधि के तौर पर भी होता है.

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भारत में आपको कई जगह भांग के सरकारी ठेके मिल जाएंगे लेकिन गांजे पर प्रतिबंद है.

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भांग को पारंपरिक रूप से महा शिवरात्रि और होली के वसंत त्योहार के दौरान वितरित किया जाता है.

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अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि भांग और गांजे में क्या अंतर है. आइए आपको बताते हैं.

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दरअसल, भांग और गांजा दोनों एक ही पौधे से निकले हैं. इस पौधे को Cannabis Sativa कहा जाता है. हालांकि असल में कैनबीस को हिंदी में भांग ही कहते हैं.

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इस पौधे को हिस्सों में बांटा जाए तो सबसे ऊपरी हिस्सा इसके फूल और फल का आता है. इसके बाद आती हैं पत्तियां. फिर तना और अंत में जड़.

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सबसे ऊपर वाले पार्ट यानी पौधे के फल-फूल वाले हिस्से को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है.

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यदि सूखने के बाद इसका तेल भी निकाल लिया जाए तो यह चरस बन जाता है.

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जबकि इसके पत्तियों से भांग बनती है. इसके तने और जड़ों का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल यूज के लिए किया जाता है. भारत में भांग की खेती पर प्रतिबंध है. 

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दरअसल, साल 1985 में भारत सरकार ने नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज (NDPS) अधिनियम के तहत देश में भांग की खेती को प्रतिबंधित कर दिया था.

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लेकिन यही NDPS अधिनियम राज्य सरकारों को बागवानी और औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग की खेती की अनुमति प्रदान करने का अधिकार भी देता है.

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एनडीपीएस ऐक्ट के मुताबिक ‘केंद्र सरकार कम टीएचसी मात्रा वाली भांग की किस्मों पर अनुसंधान और परीक्षण को प्रोत्साहित कर सकती है.

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राज्य सरकार ने अनुमति मिलने के बाद ही कोई व्यक्ति भांग की खेती कर सकता है. इसका लाइसेंस लेना पड़ता और सरकारी कर्मचारी खेती का मुआयना भी करते हैं.

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केंद्र सरकार के अनुसार, भांग का उपयोग चिकित्सा, वैज्ञानिक, औद्योगिक और बागवानी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

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चूंकि यह नैचुरली उगने वाला पौधा है और भारत में भारी मात्रा में भांग का इस्तेमाल भी किया जाता है, इसलिए भारत सरकार ने इसकी पत्तियों को कानून से बाहर रखा.

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AIIMS Delhi में 3 साल से अधिक समय तक कैनाबिस पौधे पर शोध कर चुके डॉ. अनिल शेखावत की राय में कैनाबिस के मनौवैज्ञानिक असर को देखते हुए पूरी पौधे को लीगल करना किसी भी देश के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. 

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कैनाबिस पौधे के फल-फूल वाले में हिस्से में 2-10% तक की मात्रा में THC पाई जा सकती है. इसी हिस्से से गांजा तैयार होता है.

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इस कंपाउंड में Abuse Potential है यानी किसी भी कीमत पर बार-बार लेने पर लत लग सकती है.

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साइंस की दुनिया में इसे ही लेकर सबसे ज्यादा शोध होते हैं. इसी केमिकल कंपाउंड के कारण इसकी खेती को इससे जुड़े उत्पादों को बैन किया जाता है. 

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भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 15 नवंबर 2021 से आधिकारिक तौर पर भांग के बीज और भांग के बीज से बने उत्पादों को '0.3 प्रतिशत से कम THC' के रूप में प्रमाणित किया है.

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सरकारी ठेके पर जो भांग मिलती है उनमें 0.3 टीएससी से ज्यादा नहीं हो सकता है इसके अलावा ठेके पर कैनबीस के पौधे से बना गांजा नहीं बेचा जा सकता है क्योंकि वह ज्यादा हानिकारक और लत लगा देने वाला होता है.

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यही कारण है कि गांजे पर भारत में बैन लगा हुआ है और भांग का इस्तेमाल दवाइयों आदि में होता है.

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