By: Aajtak Education
चीन में बच्चों को स्कूल से ही वॉर्म अप और खेलों के जरिए फाइटर बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. यहां 14वीं ग्रेड के बाद बैचलर डिग्री की पढ़ाई शुरू होती है. आइए जानते हैं भारत से कितनी अलग है चीन की पढ़ाई.
भारत में प्राइमरी एजुकेशन शुरुआत 03 साल की उम्र से शुरू होती है जबकि चीन में बच्चे 6 साल की उम्र से स्कूल जाना शुरू करते हैं और 1 से 6 ग्रेड की पढ़ाई होती है.
प्राइमरी के बाद चीन के बच्चों को जूनियर सेकेंडरी ग्रेड 7 से ग्रेड 9 तक पढ़ाई कराई जाती है. 15 साल तक बच्चे इसे पूरा करते हैं. इसे चीन में chu zhong के नाम से जाना जाता है.
चीन में कक्षा 10 की पढ़ाई को सेकेंडरी एजुकेशन होती है, जिसे gao zhong कहते हैं. फिर पोस्ट सेकेंडरी की पढ़ाई करवाई जाती है.
चीन में स्कूली एजुकेशन 14वीं ग्रेड तक होती है जबकि भारत में स्कूल पढ़ाई कक्षा 12वीं तक होती है.
चीन में 14वीं ग्रेड तक पढ़ाई होने के बाद बैचलर और फिर मास्टर डिग्री की पढ़ाई होती है. चीन में बैचलर डिग्री को xueshi xuemei और मास्टर डिग्री को shuoshi xuewei कहा जाता है.
चीन में दो अनोखी क्लासेस होती हैं जिनमें दो पीरियड- सुबह और शाम वॉर्म-अप यानी एक्सरसाइज के होते हैं. वहीं कुछ स्कूलों में बच्चों को बीच में सोने के लिए भी एक पीरियड लगता है.
भारत की तुलना में चीन के स्कूल ज्यादा देर तक चलते हैं- सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक. वहीं कई बड़े स्कूलों में तो इसके बाद अन्य एक्टिविटी भी होती हैं.
जहां भारत में एकेडमिक एजुकेशन पर ध्यान दिया जाता है. वहीं चीन में वोकेशनल स्टडीज पर फोकस किया जाता है. यहां स्टूडेंट्स एजुकेशन के दौरान ही एक स्किल्ड मैन पॉवर में कन्वर्ट हो जाते हैं.