'जीरो' क्या सिखाता है? ये जवाब देकर IAS बने थे दीपक रावत

By: Aajtak Education

08 जुलाई 2023

कुमाऊं के कमिश्नर दीपक रावत की छवि एक तेजतर्रार अफसर की है, वे अक्सर अपनी सख्ती के लिए जाने जाते हैं. उन्हें साल 2007 में 12वीं रैंक के साथ यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की थी.

मूल रूप से मसूरी के रहने वाले दीपक रावत हरिद्वार के डीएम रह चुके हैं. इससे पहले दीपक रावत नैनीताल के डीएम थे और उससे पहले दीपक रावत कुमाऊ मंडल विकास निगम के एमडी थे.

दीपक रावत एक स्पीच में बता चुके हैं मेरी गिनती उन बच्चों में होती थी जो होमवर्क करके नहीं लाते और रोज क्लास में खड़े होने की सजा मिलती थी. वो बताते हैं कि मैं बचपन में कभी अच्छा स्टूडेंट नहीं था. 

स्कूलिंग पूरी करके उन्होंने ग्रेजुएशन में इतिहास विषय से टॉप किया. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की जिसमें 2005 में इंडियन रेवन्यू सर्विस के लिए चयन हो गया, फिर 2007 में यूपीएससी में 12वीं रैंक हासिल की.

युवाओं से जुड़े रहने वाले दीपक रावत ने एक वीडियो में अपने यूपीएससी इंटरव्यू के बारे में बताया था कि उनसे बोर्ड के एक सदस्य ने पूछा था कि जीरो से हम क्या सीख सकते हैं? 

इसके जवाब में दीपक ने कहा कि जीरो हमें सिखाता है कि हमें न्यूट्रल रहना चाहिए. जीरो में कुछ जोड़ दो तो भी वहीं रहता है, जीरो से कुछ घटा दो तो भी अंक वहीं रहता है, उसकी वैल्यू नहीं घटती. इसलिए जीरो ही हमें न्यूट्रल रहना सिखाता है.

तो इंटरव्यूअर ने पूछा कि अच्छा, जीरो से और क्या सीख सकते हैं? इसके जवाब में दीपक रावत ने कहा कि जीरो हमें ये भी सिखाता है कि जीरो यानी कुछ नहीं, इसलिए हमें लाइफ में ध्यान रखना चाहिए कि हमें इससे नीचे कभी नहीं गिरना है.

दीपक रावत ने अपने इंटरव्यू से जुड़े अनुभव को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में भी शेयर किया था जो काफी वायरल हुआ था. 

वो कहते हैं कि यूपीएससी इंटरव्यू देने जा रहे उम्मीदवारों को ध्यान रखना है कि किसी भी सवाल का जवाब पूरे कांफीडेंस से दें, आपके जवाब से ज्यादा यहां आपका आत्मविश्वास देखा जाता है. (सभी फोटो FACEBOOK से हैं)