23 March 2025
हाईकोर्ट के किसी जज की नियुक्ति, पद की शर्तें और हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1)(b) और अनुच्छेद 124(4) में दी गई है. इस प्रक्रिया को महाभियोग (Impeachment) कहा जाता है, जो बहुत जटिल है.
वहीं हाईकोर्ट के जज को हटाने के लिए जांच प्रक्रिया Judges (Inquiry) Act, 1968 में दी गई है.
गुरुगोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अजय त्यागी ने द लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि हाईकोर्ट को अपने पद का दुरुपयोग या भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर ही हटाया जा सकता है.
किसी भी हाईकोर्ट के जज को हटाने के लिए राष्ट्रपति को एक प्रस्ताव (Motion for Removal) भेजा जाता है जिस पर मंजूरी मिलने के बाद जज को उनके पद से हटाया जा सकता है.
सबसे पहले हाईकोर्ट के जज को हटाने का प्रस्ताव पर कम से कम 100 लोकसभा सांसदों और 50 राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.
संसद में प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), एक हाईकोर्ट चीफ जस्टिस और एक सीनियर प्रतिष्ठित जज की तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया जाता है.
अगर समिति आरोपों को सही पाती है, तो प्रस्ताव को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बहस और मतदान के लिए रखा जाता है. जज को हटाने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई (2/3) बहुमत से प्रस्ताव पास होना जरूरी होता है.
संसद में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति इसे मंजूरी देते ही जज को उनके पद से हटा दिया जाता है.
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