09 March 2025
लोग अक्सर कचरे में दवाएं फेंक देते हैं. एक अध्ययन के अनुसार, 60% से अधिक लोग निपटान नियमों से अनजान हैं.
एक्सपायर्ड दवाओं का निपटान एक गंभीर मुद्दा है, और एक्सपर्ट इसके लिए सुरक्षित और जिम्मेदार तरीकों की सलाह देते हैं. कई देशों में दवाओं को कचरे या नाली में फेंकना गैर-कानूनी है.
दवाओं को को डस्टबिन में फेंकने से रसायन मिट्टी में मिल सकते हैं. इससे मिट्टी के नीचे का पानी में प्रदूषण का खतरा बढ़ता है, जो पीने के पानी को दूषित करता है.
सीवेज सिस्टम में दवाओं के तत्व जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ता है.
पानी में दवाओं की सूक्ष्म मात्रा एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को बढ़ाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे वैश्विक स्वास्थ्य संकट मानता है.
कुछ दवाएं एंडोक्राइन डिसरप्शन का कारण बन सकती हैं. इससे मछलियों और मनुष्यों में हार्मोनल असंतुलन देखा गया है.
दवाओं को टेक-बैक प्रोग्राम या ऑथराइज्ड कलेक्शन सेंटर्स में जमा करना चाहिए. कई देशों में फार्मेसियां और अस्पताल इस तरह के अभियान चलाते हैं.
ऐसे सेंटर्स दवाओं को जलाने (incineration) या सुरक्षित रूप से नष्ट करने काम करते हैं. अमेरिका में DEA हर साल टेक-बैक डे आयोजित करता है.
कुछ देशों में फार्मेसियां मुफ्त में एक्सपायर्ड दवाएं लेती हैं. भारत में कुछ प्राइवेट फार्मेसियां यह सुविधा देती हैं.
अगर कोई सुविधा न हो, तो दवाओं को कचरे में डालने से पहले सीलबंद बैग में रखें जिससे बच्चे और जानवर दवा तक न पहुंच सकें.
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