22 Oct 2024
आज के डिजिटल युग में आपने बारकोड जरूर देखा होगा. हर प्रोडक्ट का अपना एक बारकोड होता है जिसमें प्रोडक्ट से जुड़ी सभी जानकारियां होती हैं.
सबसे पहले इसका इस्तेमाल बड़ी-बड़ी कंपनियों में किसी भी तरह के प्रोडक्ट को ट्रैक करने के लिए किया जाता था लेकिन अब इसका इस्तेमाल आम तौर पर होने लग गया है.
ये काली लाइन बस और कुछ नहीं होती सिर्फ यह एक कोड ही होता है जो कि समान के ऊपर लगा होता है.
इस कोड को मशीनों द्वारा लगाया जाता है और कंपनी अपने कोड स्कैनर द्वारा देखकर अपने प्रोडक्ट को पहचान लेती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर बारकोड बनाने का आइडिया किसके दिमाग में आया? आइए जानते हैं.
बारकोड के आविष्कार से पहले 1890 में पंचकार्ड का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन इससे प्रोडक्ट का ट्रैक रख पाना बहुत मुश्किल था.
एक दिन Joseph Woodland ने सोचा कि प्रोडक्ट को ट्रैक करने का तरीका आसान होना चाहिए. उन्होंने एक ऐसा कोड बनाने की सोचा जो आसान और सुरक्षित हो. इसके बाद उन्होंने अब जॉब छोड़ी और इस काम में लग गए.
काफी रिसर्च करने के बाद जोसेफ ने Morse Code का कॉन्सेप्ट लेकर Barcode को बनाना शुरू किया. बता दें मोर्स कोड में डॉट और डैश का इस्तेमाल किया जाता है
एक दिन जोसेफ समुद्र किनारे पर बैठे हुए थे. उन्होंने अपने उंगलियों से कुछ लकीरें बना दी और उसी समय उनके दिमाग में यह तरीका आया कि Morse Code में से डॉट और डैश को हटाकर पतली और मोटी लाइन्स का इस्तेमाल करके कोड बनाया जा सकता है.
1960 में लेजर के आविष्कार के बाद जोसेफ ने IBM कंपनी के साथ मिलकर बारकोड स्केनर बनाना शुरू किया.
1967 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ फूड चेंज (NAFC) ने पहली बार बारकोड को टेस्ट किया उस समय में बारकोड को मैन्युअली प्रोडक्ट के ऊपर लगाया जाता था. इसके बाद मशीन द्वारा बारकोड का इस्तेमाल हर प्रोडक्ट के लिए होने लगा.
Credit: AI Generated Image