09 Sep 2024
Photo: Meta AI
क्या आपको पता है कि बीयर की बोतल का ढक्कन कभी व्हिस्की या वाइन की बोतल की तरह क्यों नहीं होता? हमेशा इनमें स्टील के दातों वाले ढक्कन ही क्यों लगे होते हैं?
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आइए जानते हैं कि बीयर पर दांत वाले ढक्कन ही क्यों लगाए जाते हैं.
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बीयर, व्हिस्की और वाइन की बोतलों में अलग-अलग सामग्री के कारण इनके कैप अलग होते हैं.
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बीयर के कैप्स आमतौर पर छीलने वाले धातु के होते हैं, जबकि व्हिस्की और वाइन की बोतलों के कैप्स अक्सर स्टॉपर या कॉर्क होते है.
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बीयर की बोतल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) होता है क्योंकि बीयर को कार्बोनेट किया जाता है. कार्बोनेशन, तरल में घुली कार्बन डाइऑक्साइड गैस है जो बीयर को बुलबुले वाला बनाती है.
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बीयर में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा काफी ज्यादा होती है, अगर बीयर को लम्बे समय तक चलाना है कि इस गैस को बोतल के अंदर बनाए रखना जरूरी होता है.
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बीयर की बोतल एक बार खुल जाए तो इसे जल्दी खत्म करना जरूरी है नहीं तो कुछ देर बाद ही इसका स्वाद बदल जाता है.
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इसलिए, बीयर की बोतलों में पहले कॉर्क ही आया करते थे ताकि गैस बाहर ना निकले लेकिन यह काफी बिकती थीं और इन्हें खोलने में परेशानी होती थी. इसलिए टाइट सील के लिए इसमें दांत वाले ढक्कन लगाए जाने लगे.
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यह भी माना जाता है कि कॉर्क से सील की जाने वाली बोतलों में अक्सर तरल पदार्थ और कार्बोनेटेड गैसों का रिसाव होता था. इसलिए दांत वाले ढक्कन लगाए जाने लगे.
इस तरह के ढक्कनों को कांच के बोतल में लगाना आसान है लेकिन जरूरी नहीं कि यह प्लास्टिक की बोतल में इतनी ही अच्छी तरह काम करें.
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इसलिए अगर कोल्ड्रिंक को कांच की बोतल में बेचा जाता है तो दांत वाला स्टील का कॉर्क लगाया जाता है और प्लास्टिक की बोतल में उसमें प्लास्टिक का ढक्कन ही लगता है.
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