सर्दियों की शुरुआत होते ही दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन जाती है.
इन दिनों भी दिल्ली में पॉल्यूशन लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्रदूषण की परेशानी सर्दियों में ही क्यों होती है?
अक्टूबर से लेकर जनवरी तक हर साल दिल्ली में प्रदूषण बड़ी समस्या बन जाती है. इसकी वजह ये है कि सर्दियों में हवा का घनत्व बढ़ जाता है और तापमान गिर जाता है.
इसके चलते प्रदूषण नीचे ही रह जाता है और स्मॉग के तौर पर दिखता है. दरअसल, ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है.
इस घनत्व का मतलब है कि ठंडी हवा प्रदूषण को रोक लेती है लेकिन उसे दूर नहीं ले जाती है. सर्दियों में वायु प्रदूषण काफी लंबे समय तक बना रहता है और इसलिए गर्मियों की तुलना में सर्दियों में अधिक दर से सांस के साथ अंदर जाता है.
इसके अलावा कोहरे के साथ मिलकर प्रदूषण और तरह-तरह की गैस एक घातक मिश्रण बनाती है, जिससे लोगों को कई तरह की समस्या होती है. सर्दियों में हवा भी काफी कम चलती है, ऐसे में प्रदूषण लगातार बढ़ता रहता है.
गर्मियों की हवा में घनत्व काफी कम होता है और तापमान काफी ज्यादा होता है. इससे प्रदूषण के कण वातावरण के ऊपरी सतह तक चले जाते हैं. यानी प्रदूषण ज्यादा देर तक नीचे नहीं टिक पाता है.
इसके अलावा खेतों में पराली जलना भी इसका बड़ा कारण है, हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों में किसान इन महीनों में पराली जलाते हैं, जिससे स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है. और जल्दी आगे न बढ़ पाने के कारण प्रदूषण की समस्या होती है.