आज क्रिसमस है, जिसे ईसाई धर्म के लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं. ये त्यौहार सांता क्लॉज के बिना अधूरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सांता लाल रंग के ही कपड़े क्यों पहनते हैं.
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सांता क्लॉज का नाम सुनते हैं कि हमारे दिमाग में एक लाल कपड़े पहने, सफेद दाढ़ी वाले, बूढ़े और खुशमिजाज आदमी की छवि बन जाती है. सांता के लाल कपड़े पहनने की पीछे एक बहुत पुरानी कहानी है.
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चौथी शताब्दी में एक ग्रीक बिशप संत निकोलस थे, जो लाल कपड़े पहनकर गरीबों और बच्चों को गिफ्टस दिया करते थे. क्लेमेंट मार्क नूरी की कविता में सेंट निकोलस का उल्लेख मिलता है, जो काफी हद तक सांता क्लॉज से मिलते-जुलते हैं.
संत निकोलस को ही कुछ लोग सांता क्लॉज मानते हैं. इसके अलावा एक डच संत थे, जिनका नाम था सिंटरक्लास. वो भी लाल कपड़े पहनते थे और उनकी भी सफेद दाढ़ी थी.
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सेंट सिंटरक्लास सफेद रंग के घोड़े पर बैठकर बच्चों को उपहार बांटते थे. इसलिए कई लोग उनको भी सांता क्लॉस मानते हैं.
सांता क्लॉस के लाल कपड़े पहनने के पीछे एक कहानी कोका-कोला कंपनी से भी जुड़ी है. साल 1930 में कोका-कोला कंपनी ने अपने विज्ञापन में एक आदमी को सांता के लाल कपड़े पहने हुए दिखाया था.
साल 1823 में क्लेमेंट मार्क मूर ने ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस शीर्षक से एक कविता लिखी थी. इस कविता में भी सांता की कल्पना लाल रंग के कपड़ों में की गई थी.
हालांकि, दी सीक्रेट लैंग्वेज ऑफ कलर की लेखक एरिले एक्स्टुट का कहना है कि सांता लाल रंग के कपड़े ही क्यों पहनते हैं इसका कोई निश्चित इतिहास नही है. इसलिए आज भी सांता और लाल रंग के बीच क्या लिंक है इसे जानने में सदिया लग जाएंगी.