डिग्री लेते समय ब्लैक गाउन और टोपी क्यों पहनाई जाती थी?

02 Sep 2024

डिग्री मिलने पर स्कॉलर्स को ब्लैक कलर का गाउन और ब्लैक कलर की कैप पहननी होती है. इस आउटफिट को पहनने के लिए हर स्टूडेंट बेताब रहता है.

दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान स्टूडेंट्स द्वारा चौकोर कैप को उछालने की तस्वीरें बेहद आम भी हैं.

ऐसा भी माना जाता है कि इस ब्लैक गाउन को पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के इस्लामिक स्कॉलर्स पहनते थे और वहां से ही वह पश्चिमी देशों में पहुंचा था.

मकदिसी द्वारा साल 1981 में लिखी गई किताब ‘द राइज ऑफ कॉलेजेज: इंस्टीट्यूशंस ऑफ लर्निंग इन इस्लाम एंड द वेस्ट’ के अनुसार, इजिप्ट में स्थित मदरसा-अल-अजहर की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई थी. 

यहीं से ब्लैक गाउन की शुरुआत भी हुई थी.

यूरोप की तरह ही, इन क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के संस्थानों का शुरुआती उद्देश्य धार्मिक शिक्षा देना था और बाद में वहां कानून, गणित और खगोल विज्ञान की पढ़ाई शुरू हुई.

दुनिया में साइंस के सबसे प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट्य में से एक मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के अनुसार, अकेडमिक पहनावों की शुरुआत 12वीं से 13वीं शताब्दी के आस-पास यूरोपीय विश्वविद्यालयों से हुई थी.

मध्यकालीन स्कॉलर आमतौर पर सिर मुंडवा लेते थे. ऐसे में सिर की सुरक्षा के लिए पाइलस जैसी टोपी पहनी जाती थी, जो खोपड़ी जैसी दिखती थी

आजकल पहनी जाने वाली चौकोर टोपी बाद में चलन में आई. समय के साथ, गाउन के लिए ब्लैक कलर को चुना गया और कोर्स की डिग्री के अनुसार उसमें खास चीजें जोड़ी गईं.