19 Dec 2024
स्कूल या कॉलेज में हम सभी ने ब्लू और ब्लैक पेन का इस्तेमाल किया है और वहीं, टीचर्स को रेड पेन का यूज करते देखा है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्टूडेंट्स ब्लू और ब्लैक पेन से ही क्यों लिखते हैं और शिक्षकों को रेड पेन क्यों दिया जाता है?
शिक्षकों के लाल रंग से लिखने या छात्रों के नीले-काले रंग से लिखने के पीछे कोई तय और लिखित कारण नहीं है.
हालांकि, ऐसा क्यों है इसको लेकर कई अंदाजे लगाए जाते हैं. आइए जानते हैं.
छात्र नीले और काले रंग से इसलिए लिखते हैं क्योंकि वो डार्क कलर होता है और सफेद रंग का कागज होने की वजह से वो कॉन्ट्रास्ट में रहता है. इस वजह से लिखी हुई चीजें आसानी से दिख जाती हैं.
टीचर्स लाल रंग से लिखते हैं ताकि उनका लिखा छात्र के जवाब से अलग दिखे.
लाल रंग को गंभीरता और अथॉरिटी के रूप में लिया जाता है, जिससे छात्र और उनके परिजन उसे गंभीरता से लेते हैं.
बता दें कि काले और नीले रंग की स्याही में हाई ड्यूरेबिलिटी होती है.
काली स्याही, जो आमतौर पर कार्बन आधारित होती है, समय के साथ रंग नहीं बदलती और इससे लिखे गए शब्दों की पहचान लंबे समय तक स्पष्ट रहती है.
इसके अलावा नीली स्याही में विशेष रंगद्रव्य होते हैं और ये रंग भी UV किरणों से प्रभावित नहीं होता और ना ही यह समय के साथ धुंधला होता है.
काले रंग की स्याही हाई कंट्रास्ट देती है, इसलिए प्वॉइंटर्स और हेडिंग्स काले रंग से लिखे जाते हैं.
नीला रंग सफेद कागज पर सौम्य प्रभाव डालता है और लंबे समय तक पढ़ने में आरामदायक होता है, इसलिए जवाब नीले रंग से लिखे जाते हैं.