25 Sep 2024
आमतौर पर जब भी आप ट्रेन के जरिए से सफर करते होंगे तो कोच के डिब्बों के रंग को लेकर आपके दिमाग में बात जरूर आती होगी.
कई ट्रेन में ये लाल और नीले रंग के कोच अलग-अलग क्यों होते हैं और इसके क्या मायने हैं. तो चलिए रेल कोच के अलग-अलग के इन डिब्बों के रंग की कहानी के बारे में.
नीले रंग के कोच को इंटीग्रल कोच कहते हैं. अगर इसकी गति की बात करें तो इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार है.
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इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई में स्थित है और इसकी स्थापना साल 1952 में हुई थी.
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लाल रंग के कोच को एल एच बी इंटीग्रल कोच (Linke Hofmann Busch) कहते हैं. इसकी निर्माण की इकाई कपूरथला में है.
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अगर इसकी गति की बात करें तो इसकी अधिकतम गति करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक है. यानी हाई स्पीड ट्रेन के लिए ये कोच प्रयोग किए जाते हैं.
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हरे रंग की ट्रेन के कोचों में डिस्क ब्रेक लगे होते हैं, जिस कारण ये 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड दौड़ते हैं.
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आपको हरे रंग के कोच ज्यादातर गरीब रथ जैसी ट्रेनों में देखने को मिलेंगे.