'पापा वापस नहीं आते अगर...', क्यों विनोद खन्ना ने छोड़ी थी ओशो की शरण? बेटे ने बताया

29 Mar 2025

Credit: Social Media

बॉलीवुड एक्टर अक्षय खन्ना जब सिर्फ 5 साल के थे तब उनके पिता, विनोद खन्ना 1982 में अपना घर-परिवार छोड़ कर संन्यासी बन गए थे. विनोद खन्ना ने जब संन्यास लिया था तब वो अपने करियर के पीक पर थे. 

 अक्षय खन्ना को है ओशो से प्यार

एक्टर अक्षय खन्ना तब बहुत छोटे थे उस वक्त वो अपने पिता के फैसले को समझ नहीं पाए थे, लेकिन जैसे-जैसे वो बड़े हुए उन्होंने खुद ओशो के बारे में पढ़ा, तब उन्होंने पिता के जीवन पर ओशो के प्रभाव को समझा.

एक इंटरव्यू में अक्षय ने कहा था कि परिवार छोड़ना संन्यास का ही एक हिस्सा था. संन्यास का मतलब ही है अपने जीवन को पूरी तरह त्याग देना. परिवार तो इसका केवल एक हिस्सा है. यह एक जीवन बदलने वाला फैसला था. जिसे उन्होंने उस वक्त लेने की जरूरत समझी.

एक पांच साल के बच्चे के रूप में उस वक्त मुझे समझना मुश्किल था. मैं इसे अब समझ सकता हूं. एक्टर अपने पिता के डिसीजन का बचाव करते हुए कहते हैं, इस तरह के फैसले लेना आसान नहीं होता. उनके भीतर कुछ बदलाव हुआ होगा, तब उन्होंने ऐसा फैसला लिया होगा.

एक्टर अक्षय खन्ना कहते हैं, पापा तब वापस आए थे, जब ओशो और उनकी कम्यून का अमेरिकी सरकार के साथ टकराव हुआ.  मुझे लगता है कि अगर कम्यून भंग नहीं हुआ होता तो शायद मेरे पापा कभी वापस नहीं आते.'

बचपन में अपने पिता से दूर होने के बावजूद एक्टर अक्षय खन्ना के मन में ओशो के प्रति कोई कड़वाहट नहीं है. वो कहते हैं उन्हें ओशो से प्यार है. उन्होंने ओशो के हजारों वीडियो देखे हैं, कई प्रवचन सुने हैं.

भारत आने के बाद एक्टर विनोद खन्ना ने मुकुल आनंद की फिल्म 'इंसाफ' (1987) से फिल्मों में एक नई शुरुआत की थी.

हालांकि, वापसी के बाद वो अपना खोया हुआ स्टारडम वापस हासिल नहीं कर सके. 2017 में एक्टर का कैंसर से लड़ते हुए निधन हो गया था.