25 FEB 2025
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दिब्येंदु भट्टाचार्य ने जामताड़ा, पोचर, देव डी जैसी कई फिल्मों और सीरीज में दमदार काम किया है. अपने दम पर अपनी पहचान बनाई है. वो हाल ही में हिना खान की गृहलक्ष्मी में नजर आए थे.
लेकिन उन्हें उनकी रंगत की वजह से कई बार ताने सुनने पड़े हैं. एक्टर ने इस बारे में बात की और साथ ही बताया कि निगेटिव किरदार करना कितना मुश्किल हो जाता है.
दिब्येंदु बोले- निगेटिव कैरेक्टर करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आप वैसे होते नहीं हो. आपको रेपिस्ट, मोलेस्टर, मर्डरर या साइको किलर का कैरेक्टर करना पड़ रहा है.
ऐसे आप बुनियादी तौर पर नहीं होते हो, बस किरदार ही कर रहे हो. एक्टिंग की दुनिया में एक कहावत है- आपके ही अंदर राम है और रावण भी है.
तो जिस चीज को आप नर्चर करते हो वही बाहर निकलता है, ये सब अंदर बसा हुआ है, हर इंसान के अंदर जो हम बाहर लाते नहीं हैं. लेकिन वो डार्क स्पेस में जब हम जाते हैं तो खुद ही लगता है अरे बाप रे, ये क्या है!
दिब्येंदु ने इसी के साथ अपने साथ होनेवाले भेदभाव पर कहा कि भारत में जो रेसिज्म होता है वो अलग ही लेवल का है. बाहर के देशों में सिर्फ गोरे-काले होते हैं. हमारे यहां तो भर-भरके रेसिज्म है.
हमारे यहां प्रांत का, रीजनल, रिलीजियस रेसिज्म है. बहुत-बहुत खतरनाक चीजें हैं हमारे देश में, यहां अलग ही मायने हैं. मेरे साथ जो हुआ है वो ऐसा है कि लोग कहते हैं- देबू के लिए तो अलग लाइट चाहिए होती है.
देबू यार थोड़ा-सा लाइट साथ में लेकर आया कर. तो मैं कह देता हूं- ठीक है अगली बार से लेकर आऊंगा. मैं ऐसे बोलकर टाल देता हूं.
क्योंकि जो लोग इंसेंसिटिव बातें करते हैं उनके साथ आप सेंस की बात नहीं कर सकते. आपको हमेशा इस चीज से बचना पड़ेगा. आपको ही खुद को बचाकर रखना पड़ेगा.