नाइट क्लब से शुरुआत, सूरत की वजह से झेला भेदभाव, सिंगर बोली- सपनों को पूरा करना...

27 AUG

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फेमस पॉप सिंगर ऊषा उत्थुप म्यूजिक इंडस्ट्री का जाना माना नाम हैं. उन्हें भारत का सबसे बड़े सम्मान में से एक पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है.

ऊषा उत्थुप के साथ हुआ भेदभाव

सिंगर ने अपनी शुरुआत एक नाइट क्लब में गाने से की थी. उनका शुरुआती सफर आसान नहीं रहा था. उन्हें इंडस्ट्री में अपने लुक्स की वजह से भेदभाव का शिकार होना पड़ा था. 

ऊषा ने HT को दिए इंटरव्यू में बताया कि भेदभाव के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई. 

ऊषा बोलीं- 1969 में मैंने नाइट क्लब में गाने से शुरुआत की थी. फिर इनिशिएट करने का सौभाग्य मिला लेकिन अपने लुक्स की वजह से हमेशा संदेह का सामना करना पड़ा. 

ऑडियन्स के बड़े मिक्स्ड रिएक्शन मिलते थे, लेकिन मेरा गाना सुन उन सबके ओपिनियन्स बदल जाते थे. इस अनुभव ने मुझे खुद पर विश्वास करना सिखाया. 

अगर मेरी जर्नी कभी किसी महिला को इंस्पायर कर सके तो वो मेरे लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट होगा. आज म्यूजिक में बहुत एक्सपेरिमेंट होते हैं, जो हमारे जमाने में नहीं थे. 

ऊषा की अलग आवाज लोगों को जितना हैरान करती थी, वो उतनी ही उनकी पहचान बनी. वो बोलीं- मेरी आवाज ने ही मुझे पहचान दिलाई है. 

जिस वजह से लोग मुझे अलग नजर से देखते थे, मैंने उसे बदला नहीं, ऑथेंटिक रही, और अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दिया. मैंने सच्चाई से इसे अपनाया है.  

ऊषा ने हरी ओम हरी, रांबा हो हो, कोई यहां नाचे नाचे, वन टू चा चा चा, डार्लिंग जैसे कई सुपरहिट गाने गाए हैं. जो आज भी डिस्को में खूब सुने सुनाए जाते हैं.