28 SEPT
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सैफ अली खान पटौदी खानदान के वारिस हैं, वो नवाबों के खानदान से आते हैं बावजूद इसके उन्होंने अपनी पहचान खुद के दम पर बनाई है.
सैफ ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बताया कि पिता मंसूर अली खान ने पहले ही उन्हें कह दिया था कि विरासत में मिले पैसों पर डिपेंड नहीं होना है.
उन्होंने मुझे अच्छी एजुकेशन प्रॉमिस की थी और वो उन्होंने दी, लेकिन फाइनेंशियली अपनी खुद की पहचान बनाने को कह दिया था.
सैफ ने आगे बताया कि उनके पिता उन्हें कुछ और ही बनाना चाहते थे लेकिन उनका शुरू से एक्टिंग की ओर झुकाव था, शायद ये मां शर्मिला टैगोर की वजह से हो.
सैफ बोले- मैंने अपनी पहली फिल्म 1992 में की थी. तब से बहुत कुछ बदल गया है. मैं इंग्लैंड के एक बोर्डिंग स्कूल से निकला ही था.
मेरे पिता ने मेरे लिए एक अलग भविष्य की योजना बनाने में बहुत पैसा खर्च किया. किसी ने मुझसे एक्चुअल में नहीं पूछा था कि मैं क्या करना चाहता हूं.
हां, मुझे अपने पैरों पर खड़े होने में थोड़ा समय लगा. एक समय ऐसा भी था जब मैंने खुद को संभाला और कहा कि मैं सही में एक बेहतर अभिनेता बनना चाहता हूं.
पटौदी पैलेस के बारे में बात करते हुए सैफ ने कहा कि मेरे पिता उसे एक होटल में बदलना चाहते थे लेकिन मुझे याद है दादी ने कहा था कि ऐसा नहीं होने देना.
इस पैलेस में हमारा इतिहास है और मैं इसे हमेशा संजो कर रखना चाहता हूं. यहीं मेरे ग्रैंड पेरेंट्स मेरे पिता की समाधी है. ये हमारे परिवार की धरोहर है.