6 NOV 2024
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संजय मिश्रा छठ त्योहार को लेकर बहुत ही भावुक हैं. उन्होंने बताया कि ये उनके लिए बचपन को जीने जैसा हुआ करता था लेकिन अब सब बदल गया है.
संजय बोले- मैं छठ को अपने बचपन से रिलेट करता हूं. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाता है. क्योंकि मेरे दादा नहीं हैं.
जो मुझे उंगली पकड़ कर ले जाएं. मैं कल ही सोच रहा था इस बारे में... मेरे पिता नहीं हैं, जगाने वाले... उठो. ये कहते हुए संजय के आंसू छलक पड़े.
भोर का अर्घ्य है आज, घाट छेंकने जाना है. बचपन में छेकते थे खूब. अब तो छठ के समय में वैसी ठंड भी नहीं पड़ती है.
संजय ने आगे कहा- उस समय में तो बाप रे बाप, अगर कोई भाई हो तो गंगा जी में लुढ़का दे चुपचाप. ठंड में एकदम.
तो ऐसा कहते थे- अरे रो क्यों रहे हो, चाची को तो अभी पूरा देर इसी में खड़े रहना है. तुम तो खाली डूब के आए हो.
वो सब नहीं तो... जिन लोगों से वो छठ था कि सब चाचा आते थे बुआ आती थी. तब चाची अर्घ्य देती थी. अब वही लोग नहीं रहे हैं. इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है.
61 साल के संजय मिश्रा बिहार के दरभंगा से आते हैं, वो साल 1965 से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं. उन्होंने फिल्म ओ डार्लिंग ये है इंडिया से डेब्यू किया था.
संजय ने अपने 5 दशक के फिल्मी करियर में कई अवॉर्डस जीते हैं. वो हाल ही में रिलीज हुई भूल भुलैया 3 में कॉमेडी करते दिखे हैं.