अलविदा उस्ताद...12 की उम्र में पहली परफॉर्मेंस, 5 रुपये थी पहली फीस, एक्टर भी थे तबला वादक जाकिर हुसैन

16 DEC 2024

Credit: Instagram

मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है. जाकिर हुसैन कुछ समय से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे. वहीं, उन्होंने 16 दिसंबर को अंतिम सांस ली. 

कैसी थी जाकिर हुसैन की जर्नी

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा भी मशहूर तबला वादक थे. जाकिर अपने घर के बड़े बेटे थे.

जाकिर हुसैन के अलावा उनके दो भाई तौफीक कुरैशी और फजल कुरैशी भी तबला वादक हैं. हालांकि, उनके एक भाई का कम उम्र में ही निधन हो गया था. 

जाकिर हुसैन ने अपनी स्कूलिंग मुंबई के सेंट माइकल हाई स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था. 

लेकिन पढ़ाई पूरी करने से पहले ही वो तबला वादक बन गए थे, क्योंकि उन्हें बचपन से तबला बजाने का शौक था. बताया जाता है कि जाहिर हुसैन ने महज 3 साल की उम्र में अपने पिता से मृदंग (एक शास्त्रीय वाद्य) बजाना सीखा था.

कुछ ही सालों में वो संगीत के कार्यक्रम करने लगे थे. उन्होंने 12 साल की छोटी उम्र में अमेरिका में अपनी पहली परफॉर्मेंस दी थी.  

12 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के साथ भी परफॉर्म किया था. तब जाकिर का टैलेंट देख कॉन्सर्ट में मौजूद हर इंसान दंग था. 

परफॉर्मेंस के बाद जाकिर को 5 रुपये मिले थे. उन्होंने एक दफा कहा था कि ये 5 रुपये उनके लिए सबसे ज्यादा कीमती रहेंगे, क्योंकि ये उनकी पहली कमाई थी.

बता दें कि जाकिर हुसैन ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी. 

जाकिर हुसैन के टैलेंट से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी काफी इंप्रेस थे. इसलिए ओबामा ने ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में पार्टिसिपेट करने के लिए जाकिर को व्हाइट हाउस में इन्वाइट किया था. जाकिर हुसैन के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी. 

जाकिर हुसैन को उनके करियर में कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. साल 1988 में जाकिर हुसैन को पद्म श्री, साल 2002 में पद्म भूषण और साल 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था. जाकिर हुसैन ने 5 ग्रैमी अवॉर्ड्स भी अपने नाम किए थे.

तबला वादक होने के साथ-साथ जाकिर हुसैन एक्टर भी थे. उन्होंने अपने करियर में 12 फिल्में की थीं. आज ये चमकता सितारा भले ही बुझ गया है, लेकिन उनकी रोशनी हमेशा कायम रहेगी. अलविदा जाकिर हुसैन!