17 NOV 2024
Credit: Instagram
कोरियोग्राफर सरोज खान ने 3 जुलाई 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. लेकिन उनकी यादें आज भी फैंस के दिलों में ताजा हैं.
उनके अचीवमेंट्स को अक्सर ही याद किया जाता है. हाल ही में कोरियोग्राफर टेरेंस लुइस ने बताया कि उनकी जिंदगी कितनी मुश्किल भरी रही थी. इस पर बायोग्राफी बननी चाहिए.
टेरेंस बोले- मैं बता रहा हूं अगर किसी की बायोग्राफी बननी है ना तो सरोज जी की बननी चाहिए. उनका तो नाम तक सरोज नहीं था.
वो मुसलमान नहीं सिंधी थीं. बहुत सारी चीजें हैं उनकी लाइफ में जो उन्होंने बताई थीं, कैसे वो पहली बार मां बनीं. महज 15 साल की थीं वो.
उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें डिलीवरी के दो दिन बाद ही सीधा काम पर आना पड़ा था. और इतना सब ना सच सच बताती थीं.
वो एकदम मुंह पर बोलने वाली महिला थी, जो नहीं पसंद तो नहीं पसंद. जो क्रेजी चीजें उन्होंने अपनी लाइफ की बताई थी ना मेरी रिस्पेक्ट और बढ़ गई थी.
क्योंकि उस जमाने में एक औरत का काम करना उस इंडस्ट्री में जहां पर सिर्फ मर्द हैं बहुत मुश्किल था. वो इसलिए गाली भी देती थीं, क्योंकि यहां आप औरत बनकर काम नहीं कर सकते.
सिंधी परिवार में जन्मीं सरोज खान ने 13 साल की उम्र में अपने से 30 साल बड़े कोरियोग्राफर बी. सोहनलाल से निकाह कर धर्म परिवर्तन कर लिया था.
15 साल की उम्र में वो एक बेटे की मां बनीं. निर्मला नागपाल से सरोज बनी कोरियोग्राफर नहीं जानती थीं कि शौहर पहले से शादीशुदा हैं. जब उनका दूसरा बेटा हुआ, जो पैदा होते ही मर गया तब जानकारी मिली.
हालांकि सोहनलाल ने सरोज और बच्चों को अपनाने से इनकार कर दिया और इनके रिश्ते में दरार आ गई. इसके बाद उन्होंने अकेले सब संभाला और नाम कमाया.