एक्टिंग छोड़ गांव में किसान बना एक्टर, हुआ बर्बाद, बेटे के स्कूल के बाहर बेचीं सब्जियां, छलके आंसू

28 SEPT

Credit: Social Media

'साराभाई वर्सेस साराभाई' फेम एक्टर राजेश कुमार ने हमेशा अपनी एक्टिंग से फैंस का दिल जीता है. लेकिन एक्टर ने करियर के पीक पर अचानक शोबिज छोड़कर खेती का काम शुरू कर दिया था.

इमोशनल हुआ एक्टर

राजेश गांव में साधारण किसान की जिंदगी जीने लगे थे. अब सिद्धार्थ कनन संग लेटेस्ट इंटरव्यू में एक्टर ने अपने इस फैसले के बारे में बताया है.

राजेश से कहा गया कि उन्हें बैक टू बैक काम मिल रहा था, फिर एक्टिंग छोड़कर किसान क्यों बन गए? इसपर एक्टर ने कहा- एक वक्त आया था, जब 'नीली छतरी वाले' के बाद मुझे लगा कि टीवी पर मेरे लिए रोल नहीं हैं. 

मुझे सिर्फ हीरो के पिता, हीरो के चाचा, हीरो के भाई के रोल मिल रहे थे. तो मैंने कहा ये तो रिश्ते हैं, इसमें कैरेक्टर क्या है. 

राजेश ने कहा कि उसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि एक्टर के तौर पर तो उन्होंने काम कर लिया, लेकिन इंसान के तौर पर प्रकृति के लिए उनकी भूमिका क्या है?

तब उन्हें एहसास हुआ कि खेती से अच्छा तो कुछ है ही नहीं. एक्टर ने बताया कि जब उन्होंने खेती का काम शुरू किया तो बाढ़ आ गई थी, जिसकी वजह से उनकी पूरी खेती कई बार बर्बाद हो गई.

उन्होंने फिर से 1500 पेड़ लगाए, लेकिन उसके बाद उनके खेत में आग लग गई और उनका 70 प्रतिशत खेत जलकर राख हो गया. 

राजेश ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि वो लोगों की डिमांड पर उनके लिए सब्जियां उगाकर उन्हें देंगे. उन्होंने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की. 

राजेश बोले आखिर में वो अपने बेटे के स्कूल के बाहर सब्जी बेचने लगे. एक्टर ने कहा- मैंने अपने बेटे के स्कूल के बाहर सब्जियां लगाकर बेचीं.

लोगों को लग रहा था कि राजेश पागल हो गया है ये सब्जियां क्यों बेच रहा है. मेरा बेटा उस समय थर्ड क्लास में था. 

मुझे सब्जी बेचता देखकर मेरा बेटा अपने सभी टीचर्स से सब्जी खरीदने को कहता था. मेरे बेटे के फ्रेंड्स भी स्कूल में सभी को बताते थे कि वियान के पापा स्कूल के बाहर सब्जी बेच रहे हैं. 

ये बताते हुए राजेश इमोशनल हो गए. उनकी आंखों में आंसू आ गए. एक्टर ने कहा- मैं ये सोचकर गया था कि मैं छोटा काम नहीं कर रहा हूं. 

सब्जी बेचना छोटा काम नहीं है, क्योंकि बहुत कुछ खत्म होने के बाद मैं ये काम कर रहा था. बच्चों को इसका एहसास भी कराना था कि ये छोटा काम नहीं है.