शराब का 'खम्भा' 750 ml का ही क्यों होता है?
शराब के शौकीनों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए यह अलग-अलग साइज और कीमतों में उपलब्ध है.
भारत में शराब की अधिकांश बड़ी बोतलें 750 एमएल की होती हैं. आदर्श तौर पर इसे 'खम्भा' का दर्जा हासिल है.
शराब की फुल बॉटल का साइज 750 एमएल ही क्यों हो, इसके पीछे पूरी की पूरी एक कहानी है.
पुराने वक्त में शराब के शीशे के बॉटल्स बनाने के लिए 'ग्लास ब्लोइंग' तकनीक का इस्तेमाल होता था.
इस तकनीक में खोखले पाइप से फूंककर गर्म शीशे में हवा भरी जाती है. इस तरीके से बनी बोतल 750 एमएल साइज तक ही फूलती थी.
वहीं, 975 में यूरोप में शराब निर्माताओं पर कानूनी बाध्यता डाली गई कि वे एक खास मात्रा में ही शराब को एक विशेष कंटेनर में पैक करें.
कहा जाता है कि शराब बेचने वाले और खरीदने वाले, दोनों ही 750 एमएल मात्रा को स्टैंडर्ड मानने पर राजी हुए.
शराब की बोतल 750 एमएल रखने की एक वजह सुविधा है. शराब के पेग का हिसाब रखने के लिए 750 एमएल एक आदर्श मात्रा है.
वहीं, गुजरते वक्त के साथ क्वार्टर यानी 180 एमएल और हाफ यानी 375 एमएल की मात्रा स्वीकार्य हो गई.
whiskey with water