आजकल की जिंदगी में खाली होना किसी ख्याब जैसा है. जहां देखो हर कोई भाग रहा है और अपने कामों और उलझनों में लगा हुआ है.
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हम जब भी थोड़ी सी फुर्सत महसूस करते हैं तो फोन उठा लेते हैं और खुद को आसपास की दुनिया से अलग कर लेते हैं लेकिन ये वक्त हम खुद को दें तो कई परेशानियों से निजात पा सकते हैं.
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रोजमर्रा की भागदौड़ के बाद हम में चिड़चिड़ापन, लोगों से घबराहट और बेचैनी होने लगती है. इन सब तरह की परेशानी का इलाज खुद के साथ रहना है.
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अपने लिए समय निकालने से आपको सामाजिक दबावों से मुक्त होने और अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को समझने का मौका मिलता है.
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अकेले रहना हमारी पर्सनल ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है. दूसरों की जरूरतों, रुचियों और विचारों के बारे में चिंता करने के बजाय, अकेले समय आपको खुद पर सोचने की इजाजत देता है.
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लोग सामाजिक प्राणी होते हैं और सामाजिक रिश्ते हमारे सामाजिक विकास के लिए अहम होते हैं लेकिन अकेले समय गुजारना मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक भूमिका निभाता है. ये हमारी क्रिएटिविटी को बढ़ाता है.
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शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग अकेले रहते हैं उनका सामाजिक जीवन वास्तव में समृद्ध होता है और दूसरों के साथ रहने वाले लोगों की तुलना में इनमें अधिक सामाजिक ऊर्जा होती है.
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