इन लक्षणों को इग्नोर करने पर डेंगू हो सकता है घातक

29th October 2021 By: Sachin Dhar Dubey


पिछले कई सालों की तुलना में इस साल पूरे देश में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. 


डेंगू बुखार डेंगू वायरस से संक्रमित एडीज मच्छर  के काटने से फैलता है. 

इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी होते हैं जो कभी-कभी जानलेवा हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि डेंगू बुखार कब गंभीर हो जाता है.

डेंगू संक्रमण चार अलग-अलग स्ट्रेन के वायरस से फैलता है जिन्हें सीरोटाइप कहा जाता है. ये चारों अलग-अलग तरीके से एंटीबॉडी को प्रभावित करते हैं. 


स्ट्रेन के हिसाब से डेंगू घातक रूप भी ले सकता है जैसे कि डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS). इन्हें गंभीर डेंगू भी कहा जाता है.


WHO के मुताबिक, शुरुआती लक्षणों को पहचान कर सही से इलाज कराने से मृत्यु दर एक फीसदी से कम हो जाता है. 

डेंगू की शुरुआत तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द, थकान, मितली, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते और भूख ना लगने जैसे लक्षणों से होती है.

तबीयत और खराब होने पर पेट में तेज दर्द, तेजी से सांस लेना, लगातार उल्टी, उल्टी में खून आना, पेशाब में खून आना, बॉडी में लिक्विड जम जाने की स्थिति आ सकती है.


वहीं मसूड़ों और नाक से खून बहना, लिवर में दिक्कत, प्लेटलेट काउंट का तेजी से गिरना और सुस्ती, बेचैनी जैसी समस्या भी सामने आती है.


ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है.



अगर मरीज को गंभीर डेंगू हो जाता है तो उसकी स्किन और शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लीडिंग स्पॉट पड़ने लगते हैं और ब्लड प्लाज्मा से रिसाव होने लगता है. 



गंभीर डेंगू बुखार से फेफड़े, लीवर या दिल को नुकसान पहुंचता है. मरीज अचेत अवस्था में पहुंच जाता है.



कभी-कभी ब्लड प्रेशर अचानक खतरनाक स्तर पर नीचे चला जाता है  जिससे मरीज को शॉक लग जाता है और कुछ मामलों में इससे मौत भी हो सकती है. 



डेंगू का कोई सटीक इलाज नहीं है. डेंगू बुखार के इस रूप से पीड़ित व्यक्ति को आईसीयू में इलाज की जरूरत पड़ सकती है. 



यहां लक्षणों के आधार पर ब्लड या प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, इंट्रावेनस फ्लूइड और ऑक्सीजन थेरेपी से मरीज का इलाज किया जा सकता है. 



अगर डेंगू ज्यादा गंभीर नहीं है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसमें खूब आराम करना चाहिए. 



 इस दौरान शरीर में पानी की बिल्कुल कमी ना होने दें और खूब सारा लिक्विड डाइट लें. 



साथ ही गिलोय, पपीता, कीवी, अनार, चुकंदर और हरी सब्जियों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें. इससे शरीर को उर्जा मिलती रहेगी.

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