डायबिटीज के मरीजों को खानपान से लेकर पूरी लाइफस्टाल पर बहुत ध्यान देना होता है.
ब्लड शुगर बढ़ने या घटने पर कुछ खास तरह के लक्षण महसूस होते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.
ब्लड शुगर बढ़ने पर नींद ठीक से नहीं आती है, प्यास अधिक लगती है, धुंधला दिखाई देता है और बार-बार पेशाब आता है.
वहीं ब्लड शुगर कम होने पर कांपना, भूख लगना, पसीना आना, बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस होता है.
लक्षणों पर ध्यान देने के अलावा टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को इन 5 बातों को अनदेखा नहीं करना चाहिए.
अगर आपके पैर पर हुआ घाव नहीं भर रहा है तो आपको इसे नजरअंदाज न करें. ये न्यूरोपैथी का संकेत हो सकता है.
न्यूरोपैथी के वजह से हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं. इससे घाव का दर्द महसूस न होने पर शरीर में इंफेक्शन फैल सकता है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर रेटिना की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.
डायबिटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं. जैसे-जैसे ये बढ़ता है, आंखों के नीचे काले धब्बे बढ़ने लगते हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों में स्ट्रोक होने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है. इससे बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें.
इसके अलावा, ब्लड शुगर बढ़ने से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण कान से कम सुनाई देने लगता है.
डायबिटीज और डिप्रेशन के बीच गहरा संबंध है. डिप्रेशन की वजह से उदासी रहती है.
यहां तक कि आपको अपना पसंदीदा काम करने का भी मन नहीं करता है.